वाराणसी की सिविल अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के संपूर्ण भाग का 17 मई तक दोबारा सर्वे कराने का आदेश दिया है। अदालत ने गुरुवार को इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सख्त निर्देश दिया है कि सर्वे के कार्य में बाधा पहुंचाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जाए। वहीं, ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे कराने को लेकर कोर्ट के फैसले के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान आया है। ओवैसी ने कहा कि मस्जिद की कमेटी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को फौरन सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।

ओवैसी ने कोर्ट के फैसले पर कहा, “ये बिल्कुल गलत ऑर्डर है और इसे सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियों से पहले अदालत जाकर इसे रुकवाने की जरूरत है।” उन्होंने कहा कि ये पार्लियामेंट के एक्ट का उल्लंघन है। हैदराबाद से सांसद ने एक बार फिर बाबरी मस्जिद के मामले को उठाया और कहा, “हमने बाबरी मस्जिद को खो दिया, दिसंबर, 1948 में चोरों की तरह मूर्तियां रखी गई थीं, उसके बाद राजीव गांधी की सरकार ने बगैर मुस्लिम पक्ष को सुने ऑर्डर थमा दिया, आपने ताले खोल दिए।”

एआईएमआईएम प्रमुख ने आगे कहा, “सुप्रीम कोर्ट को आपने वादा किया और वादे के खिलाफ मस्जिद का विध्वंस कर दिया गया। इस मामले में किसी को सजा नहीं होती है। हम दोबारा मस्जिद नहीं खोना चाहते हैं। ये सर्वे कमिश्नर का जो आदेश है, संसद के 1991 एक्ट की खुली अवहेलना कर रहा है।”

उन्होंने कहा, “आप क्या कर रहे हैं? 1991 में इसी ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में हाई कोर्ट ने स्टे दिया था। किस राह पर इस मुल्क को लेकर जा रहे हैं आप? बहुत गलत काम हो रहा है। आप क्या करना चाहते हैं, इस मुल्क को किस राह पर ले जा रहे हैं।” ओवैसी ने दोहराते हुए कहा कि मस्जिद की कमेटी और पर्सनल लॉ बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, “1991 का एक्ट ये कहता है कि 15 अगस्त, 1947 को मंदिर-मस्जिद, गिरिजाघर…जो भी थी, उसका न नेचर चेंज होगा और न ही करैक्टर चेंज होगा।”