ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के बीच सर्वे के लिए गए वीडियोग्राफर विभास दुबे ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उन्होंने कहा कि मस्जिद के अंदर भी कमल और स्वास्तिक के फूल जैसी आकृतियां दीवारों पर मिलीं। वहीं, शिवलिंग और फव्वारे के विवाद को लेकर भी उन्होंने कई बातें बताई हैं।
न्यूज चैनल एबीपी को दिए इंटरव्यू में वीडियोग्राफर ने कहा कि जो बाहरी दीवारों पर स्वास्तिक, कमल जैसी आकृतियां दिखीं। वही चीजें अंदर की दीवारों पर भी मौजूद थीं। शिवलिंग और फव्वारे के विवाद पर उन्होंने बताया, “जब वजूखाने में टीम गई तो वहां, एक सर्किल था और उसके अंदर भी एक सर्किल था, जो पानी से ढका हुआ था। इसके बाद 16 मई को जब टीम दोबारा वहां गई तो, उस सर्किल के पानी को निकाला गया। इसके बाद धीरे-धीरे एक आकृति नजर आने लगी। फिर जब उसकी पूरी सफाई अच्छे से कर ली गई तो जो आकृति सामने आई उसे एक पक्ष उसे फव्वारा बताने लगा और दूसरा पक्ष शिवलिंग होने का दावा करने लगा।”
उन्होंने कथित फव्वारे के ऊपर सफेद रंग की आकृति को लेकर कहा, “वैसे तो यह जांच का विषय है, लेकिन प्रथम दृष्टया हमें जो समझ आया कि नीचे का हिस्सा अलग था और उसके ऊपर अलग से एक छोटा सा हिस्सा रखा गया था।” उन्होंने कहा कि जो रिकॉर्डिंग कोर्ट में दी गई है, वो आधार बनेगा। इसे माननीय न्यायालय में जब प्रस्तुत किया जाएगा, तो ऐसी चीजें मिलेंगी जिससे कोर्ट को निर्णय लेने में आसानी होगी।
वाराणसी कोर्ट में सुनवाई पूरी
ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर सोमवार (23 मई 2022) को वाराणसी कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई। जिला जज डॉ अजय कुमार विश्वेश ने सुनवाई की। इस दौरान हिंदू पक्ष ने श्रृंगार गौरी और वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा करने की इजाजत की मांग की है। साथ ही, नंदी के सामने की दीवार को तोड़कर मलबा हटाने, शिवलिंग की लम्बाई और चौड़ाई जानने के लिए सर्वे और वजूखाने के वैकल्पिक इंतेजाम की भी मांग की।
वहीं, मुस्लिम पक्ष ने वजूखाने को सील करने का विरोध किया और 1991 के एक्ट के तहत मस्जिद के सर्वे केस पर सवाल खड़े किए। सुनवाई के दौरान 19 वकील और 4 याचिकाकर्ताओं समेत सिर्फ 23 लोग ही कोर्ट में मौजूद थे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए वाराणसी कोर्ट को 8 हफ्तों का समय दिया है और इस अवधि के अंदर ही सुनवाई पूरी करने को कहा है।
