गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में मासूमों की मौत के मामले में डॉ. कफील खान को बुधवार (25 अप्रैल) को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। बता दें कि यहां के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बीते साल अगस्त में ऑक्सीजन की कमी से करीब 60 मासूमों की मौत हो गई थी। वार्ड सुपरिटेंडेंट के पद पर कार्यरत खान को इसी मामले में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने सूबे की राजधानी लखनऊ से दो सितंबर 2017 में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने तब उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 409, 308 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया था। कफील बच्चों की मौत की घटना के बाद फरार थे।
डॉ. कफील पर जिन आरोपों में मामला दर्ज हुआ, उनमें उम्रकैद की सजा का प्रावधान होता है। खान के परिवार ने जमानत को लेकर पिछले सात महीनों में छह अलग-अलग बार याचिकाएं दी थीं। कफील की जमानत को लेकर पूर्व में दी गई याचिका विशेष न्यायाधीश (प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट) के कोर्ट समेत अन्य निचले कोर्ट में खारिज कर दी गई थीं। ऐसे में, उनके परिजन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
Allahabad High Court grants bail to Dr Kafeel Khan. He was booked in connection with death of children due to lack of oxygen at Gorakhpur's BRD Medical College. (File Pic) pic.twitter.com/H9bEhksHiT
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 25, 2018
कफील ने भी एक सप्ताह पहले जेल से 10 पन्नों की एक चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने इसके जरिए दावा किया था कि बड़े स्तर पर प्रशासनिक नाकामी के कारण उन्हें निशाना बनाया गया। दिल्ली में पिछले हफ्ते उनकी पत्नी डॉ. शबिस्ता खान ने इसी चिट्ठी को मीडिया के सामने पढ़ा।
उन्होंने आरोप लगाया था कि जेल प्रशासन उनके पति को वहां स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं नहीं मुहैया करा रहा था। पत्नी ने कहा था, “मेरे पति दिल के मरीज हैं। साथ ही उनका रक्तचाप भी बढ़ जाता है। फिलहाल, वह अवसाद से गुजर रहे हैं। अगर जेल में उन्हें कुछ हो गया तौ कौन जिम्मेदारी लेगा?”
डॉ. कफील की चिट्ठी के अनुसार, “मुझे 10 अगस्त की रात वॉट्सऐप पर ऑक्सीजन खत्म होने की सूचना मिली। मैंने इसके बाद वही किया जो किसी डॉक्टर, पिता व देश के जिम्मेदार नागरिक को करना चाहिए। मैंने उन मासूमों को बचाने का पूरा प्रयास किया था। फोन कर ऑक्सीजन लाने के लिए कहा। मैंने इसके अलावा अपने वरिष्ठों को भी इस नाजुक हालत से रू-ब-रू कराया था।”

