उत्तर प्रदेश सरकार स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तिकरण योजना के तहत 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मेधावी छात्रों को 25 लाख से ज़्यादा फ्री मोबाइल बांटने वाली है। अधिकारियों के मुताबिक योजना का पहला चरण अक्टूबर से शुरू किया जाएगा जिसके लिए 372 करोड़ रुपये पहले ही मंजूर किए जा चुके हैं। पहली खेप में 3.75 लाख सैमसंग फोन शामिल होंगे जबकि बाकी लावा ब्रांड के होंगे। इस योजना के लिए 3,600 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है, जिसमें न केवल स्मार्टफोन बांटने की योजना शामिल है बल्कि प्रदेश सरकार छात्रों के की पढ़ाई का खर्चा भी उठाएगी, जिसमें डिप्लोमा, ग्रेजुएशन और उसके बाद की पढ़ाई भी शामिल है।

क्या है योजना का लक्ष्य?

सरकार ने इस योजना का मकसद साझा करते हुए बताया कि यह छात्रों को बेहतर ज्ञान हासिल करने में मदद करने के लिए किया जा रहा है। छात्र स्मार्टफोन के जरिए ज़्यादा ज्ञान आसानी से हासिल कर सकते हैं। एक अधिकारी ने कहा, “इन्फोसिस ने अपने सीएसआर प्रोजेक्ट के तहत इन मोबाइल फोनों के लिए एक विशेष मंच ‘स्प्रिंगबोर्ड’ प्रदान किया है और छात्र 3,500 से अधिक पाठ्यक्रमों और कार्यक्रमों तक फ्री एक्सेस हासिल कर सकते हैं। प्रत्येक स्मार्टफोन की कीमत 9,972 रुपये होगी।”

सपा ने कहा- रेवड़ी बांट रही सरकार

यह कदम समाजवादी पार्टी (सपा) को पसंद नहीं आया। सपा ने इसे मुफ्त की राजनीति कहा है। पार्टी ने यह भी कहा कि युवाओं से जुड़े और भी कई मुद्दे हैं जिनका समाधान होने का इंतजार है।

वरिष्ठ सपा नेता उदयवीर सिंह ने कहा, “2024 के लोकसभा चुनावों से पहले, यह युवाओं को लुभाने और अन्य मुद्दों से उनका ध्यान भटकाने का एक और प्रयास है। लेकिन मेरा मानना है कि इस मुफ्तखोरी की राजनीति से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि बेरोजगारी, निजीकरण जैसे गंभीर मुद्दे हैं जिनका समाधान होने का इंतजार है। युवाओं को स्मार्टफोन नहीं, नौकरी चाहिए।

हाल ही में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बीजेपी पर अपना वोट बैंक सुरक्षित करने के लिए कल्याणकारी योजनाओं का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।