लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर एनडीए और इंडिया गठबंधन की तैयारी जोरों पर हैं। एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही यूपी में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। क्या विपक्षी दलों का साथ आना 2024 में बीजेपी के लिए खतरे की घंटी होगा, इसकी एक झलक मऊ की घोसी विधानसभा सीट पर 5 सितंबर को होने वाले उपचुनाव में दिखाई देगी।
घोसी विधानसभा सीट (Ghosi Assembly Seat) पर उपचुनाव के लिए 5 सितंबर को वोट डाले जाएंगे। इस सीट से सपा के दारा सिंह चौहान 2022 में विधायक चुने गए लेकिन कुछ दिनों पहले उन्होंने इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया। अब बीजेपी ने उन्हें इस सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। दारा सिंह चौहान का मुकाबला सपा के सुधाकर सिंह से है। घोसी के मुकाबले को 2024 लोकसभा चुनाव की एक झलक माना जा रहा है क्योंकि यहां बसपा और कांग्रेस की तरफ से प्रत्याशी नहीं उतारे गए हैं। यहां सीधा मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच होगा।
बीजेपी का घोसी उपचुनाव जीतना कितना महत्वपूर्ण है यह इस बात से पता चलता है कि योगी सरकार के करीब एक दर्जन मंत्री धारा सिंह चौहान के नामांकन से पहले हुई मीटिंग में मौजूद थे। गौरतलब है कि इस मीटिंग में मंच पर ब्राह्मण, जाट, राजभर, पटेल, यादव, भूमिहार, ठाकुर और मुस्लिम समुदाय के नेता मौजूद थे।
जयंत चौधरी करेंगे सपा प्रत्याशी का प्रचार
RLD के जयंत चौधरी पहले ही यह ऐलान कर चुके हैं कि वह सपा के लिए कैंपन करेंगे। रालोद और सपा पिछले लोकसभा चुनाव से साथ हैं, दोनों अभी तक इंडिया गठबंधन का हिस्सा भी हैं। हालांकि गौर करने वाली बात यह है कि कांग्रेस पार्टी ने अभी तक सपा के प्रत्याशी को आधिकारिक तौर पर समर्थन नहीं किया है।
कांग्रेस के पूर्व यूपी अध्यक्ष बृजलाल खाबरी जिन्हें गुरुवार को हटाया गया है, उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें सपा को समर्थन देने के बारे में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से कोई निर्देश नहीं मिला है। कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पार्टी “बीजेपी को हराने के लिए गठबंधन की भावना को पूरा करेगी”।
घोसी में बहुत छोटा है कांग्रेस का कद
कांग्रेस घोसी में एक छोटे प्लेयर के रूप में देखी जाती है। 2022 के विधानसभा चुनाव में घोसी में कांग्रेस को सिर्फ 0.78% वोट मिले। घोसी में पिछले विधानसभा चुनाव में सपा और बीजेपी के बीच मुकाबला हुआ। 2022 में सपा को घोसी में 42.21% वोट मिला और बीजेपी को 33.57% वोट हासिल हुआ। 2019 में घोसी में हुए उपचुनाव में यहां बेहद कड़ा मुकाबला हुआ। यहां बीजेपी के प्रत्याशी को 31.24 फीसदी वोट मिले जबकि सपा द्वारा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी सुधाकर सिंह को 30.43 वोट हासिल हुए।
बसपा का प्रत्याशी न उतारना आश्चर्यनजक
5 सितंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए बसपा की तरफ से प्रत्याशी न उतारना बेहद आश्चर्यजनक है। 2022 में इस सीट पर बसपा के वसीम इकबाल को 21.12 फीसदी वोट मिले थे। वो तीसरे नंबर पर रहे। 2019 के उपचुनाव में बसपा को 23 फीसदी वोट हासिल हुए। BSP की तरफ से कहा गया कि उनकी पार्टी का फोकस 2024 लोकसभा चुनाव है, इसलिए वो उपचुनाव से दूर हैं। बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा कि हम किसी भी नेता समर्थन नहीं कर रहे हैं। इस बारे में बहनजी की तरफ से कोई निर्देश नहीं मिले हैं।
दारा को बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते कुछ बीजेपी नेता
घोसी उपचुनाव के लिए बीजेपी पूरे दम से प्रचार कर रही है लेकिन दारा सिंह चौहान को बीजेपी के ही कुछ वर्गों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। कहा जा रहा है कि इसकी वजह पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले उनका सपा में शामिल होना है। बीजेपी के एक स्थानीय पदाधिकारी ने बताया, “घोसी में कुछ चौहान (OBC) नेता नहीं चाहते कि दारा सिंह चौहान OBC चेहरे के तौर पर आगे बढ़ें। समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर दारा सिंह को टिकट देने के पार्टी के फैसले से भी कुछ कार्यकर्ता नाराज हैं। उन्होंने पिछले साल जनवरी में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए पार्टी छोड़ दी थी। वह अब वापस आ गया है। हम उनके लिए प्रचार कैसे कर सकते हैं?”
दलित मतदाता तय करेंगे परिणाम?
अतीत के करीबी मुकाबलों को देखते हुए बीजेपी को उम्मीद है कि दारा सिंह चौहान घोसी में OBC वोटों को भुनाने में सक्षम होंगे। घोसी में 60,000 राजभर, 50,000 चौहान (नोनिया-OBC) और 40,000 यादव वोटर हैं। यहां 60,000 दलित और 90,000 मुस्लिम हैं। बीजेपी के नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि मुसलमान निश्चित रूप से सपा उम्मीदवार का समर्थन करेंगे क्योंकि बसपा और कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इस स्थिति में दलित मतदाता परिणाम तय करेंगे।