पहले चोरी और फिर सीनाजोरी। निजी अस्पताल ने समझा था कि कमजोर का पैसा वो हड़प लेगा और कोई कुछ नहीं कर पाएगा। लेकिन सरकार हरकत में आई तो अस्पताल प्रबंधन को दिन में ही तारे दिख गए। न केवल सारा पैसा लौटाया बल्कि पीड़ित के आगे मिन्नतें भी कीं। तब कहीं जाकर पीछा छूटा।

बीते दो माह से गोंडा निवासी राम प्यारी पेट में दर्द की समस्या से जूझ रही है। सरकारी असम्पताल में मदद नहीं मिली तो परिजनों ने उन्हें मड़ियांव स्थित निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। डाक्टर ने गुर्दे में पथरी होने की बात कहकर करीब 35 हजार रुपये खर्चा बताया। राम प्यारी के भाई दिलीप ने बताया कि डाक्टर ने 35 हजार रुपये जमा करा लिए। उसके बाद डाक्टर ने जांच के बाद गुर्दे की नली में रुकावट की बात कही। जिसके आपरेशन के लिए 45 हजार रुपये और मांगे गए।

परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी तो परिजनों ने पैसे देने से मना कर दिया। बिना भुगतान करने पर डाक्टर ने इलाज करने से रोक दिया। सीतापुर रोड पर स्थित अस्पताल के कारिंदे बिल के लिए परिवार को धमकाने लग गए। मरीज के घर वालों ने फैजुल्लागंज की सामाजिक कार्यकर्ता ममता त्रिपाठी को मामले की जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से पूरे मामले की जानकारी उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक को दी।

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को सारे मामले का पता चला तो उन्होंने एक्शन का आदेश दिया। मंत्री के अमले ने अस्पताल से सवाल किए तो वो यहां वहां की बातें करने लगे। अस्पताल के लोग पीड़ित को ही कसूरवार बताने लग गए। लेकिन मामला मंत्री के स्तर पर पहुंच चुका था तो अधिकारी भी चुस्त थे। दूध का दूध पानी का पानी करने के बाद अस्पताल को फटकार लगाई गई। उके बाद अस्पताल प्रशासन ने पीड़ित को 20 हजार रुपये वापस कर दिए।

पीड़ित परिवार का कहना है कि अस्पताल में इलाज के नाम पर केवल खानापूर्ति ही की गई। जब पीड़ित परिवार ने अपना पैसा मांगा तो अस्पताल के कर्मी धमकी देने लगे और लंबा चौड़ा बिल थमा दिया गया। डिप्टी सीएम एवं स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के मामला संज्ञान में लेने के बाद ढाई घंटे में एक्शन में हो गया। अस्पताल प्रशासन ने मरीज के परिवारीजन से माफी मांग कर 20 हजार रुपये वापस कर दिए।