यूपी बीजेपी ने उत्तरप्रदेश में मिली जीत पर एक डिटेल रिपोर्ट पीएम मोदी को भेजी है। इस रिपोर्ट के अनुसार बसपा के वोटरों का बीजेपी की ओर शिफ्ट होना, बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हुआ है और बहुमत मिलने में इससे मदद भी हुई है।

80 पेजों की रिपोर्ट- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ओबीसी वोटर पार्टी से दूर जा रहे हैं और सहयोगी दलों के वोट भाजपा में ट्रांसफर नहीं होने के कारण सीटों की संख्या में गिरावट आई है। पार्टी के सूत्रों के अनुसार यह रिपोर्ट लगभग 80 पेजों की है। इसमें जीतने वाली सीटों से लेकर हारने वाली सीटों तक पर डिटेल से जानकारी दी गई है।

गठबंधन के वोट नहीं मिले- सूत्रों ने कहा कि इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी की सहयोगी अपना दल और निषाद पार्टी के प्रमुख जाति आधारों ने इस चुनाव में भाजपा का समर्थन नहीं किया। हालांकि भाजपा का वोट बैंक इन सहयोगी दलों के पास जरूर गया। सूत्रों ने कहा कि सिराथू निर्वाचन क्षेत्र से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की हार में इन जातियों के समर्थन की कमी को एक प्रमुख कारक के रूप में बताया गया है।

रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कुशवाहा, मौर्य, सैनी, कुर्मी, निषाद, पाल, शाक्य, राजभर जैसी विभिन्न ओबीसी जातियों ने बड़े पैमाने पर भाजपा को वोट नहीं दिया। इन्होंने सपा को वोट दिया। जबकि 2017 में इन जातियों ने बीजेपी का समर्थन किया था। सपा के पक्ष में मुस्लिम समुदाय का “ध्रुवीकरण” भी कुछ सीटों के नुकसान के कारणों में से एक बताया गया है।

सदस्यता अभियान पर भी सवाल- सूत्रों ने कहा कि पार्टी नेतृत्व इस बात से चिंतित है कि 2022 के चुनावों से पहले दो महीने के सदस्यता अभियान के बावजूद 2017 से उसकी सीटों में कमी आई है। इस अभियान में, भाजपा ने राज्य में लगभग 80 लाख नए सदस्यों को जोड़ने का दावा किया था। जिससे उसके कुल पंजीकृत सदस्य 2.9 करोड़ हो गए थे।

योजनाओं से किसे फायदा- इसमें यह भी देखा गया कि विभिन्न सरकारी योजनाओं के अनुमानित 9 करोड़ लाभार्थियों ने किसे वोट दिया? इस योजना से बीजेपी को कितना फायदा हुआ? पार्टी के एक नेता ने बताया कि लाभर्थियों में से ज्यादातर ने राजनीतिक रूप से भाजपा का समर्थन नहीं किया, हालांकि उन्होंने एनडीए की कल्याणकारी योजनाओं की प्रशंसा की।

यहां नहीं खुला खाता- इस बार के चुनाव में गाजीपुर, अंबेडकर नगर और आजमगढ़ जिलों में भाजपा का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है। इन तीन जिलों की 22 सीटों में से वह एक भी जीतने में नाकाम रही है। सपा ने आजमगढ़ और अंबेडकर नगर की सभी सीटों पर जीत हासिल की है। गाजीपुर के सात निर्वाचन क्षेत्रों में से पांच पर सपा, जबकि उसकी सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने शेष दो सीटों पर जीत हासिल की है। 2017 में, भाजपा गठबंधन ने इन जिलों में आठ सीटें जीती थीं।

सूत्रों ने कहा कि भाजपा ने इस पर भी गौर किया है कि कम से कम 311 सीटों पर सपा गठबंधन को उससे ज्यादा डाक वोट मिले हैं। लगभग 4.42 लाख पोस्टल वोटों में से, सपा गठबंधन को 2.25 लाख वोट मिले। जबकि बीजेपी और उसके सहयोगियों को 1.48 लाख वोट मिले।