ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को लेकर देश में इन दिनों बहस छिड़ी हुई है। मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी मस्जिद को मुगल काल में बनी मस्जिद बता रहा है जबकि हिन्दू पक्ष का कहना है यह बाबा विश्वनाथ का पुराना ज्ञानवापी मंदिर है जिसे क्रूर मुगल सम्राट औरंगजेब ने तोड़ दिया था। वहीं, इस विवाद ख़त्म करने के लिए वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण के आदेश दिए हैं। इसी मुद्दे को लेकर देश के न्यूज़ चैनलों पर बहस का दौर जारी है।

भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने डिबेट पर आए इस्लामिक विद्वान मौलाना अलीमुद्दीन असद की दलील का जिक्र करते हुआ कहा कि मौलाना साहब का कहना है कि कोर्ट का फैसला आने पर एक पक्ष मिठाई बांटता है। वहीं, एक पक्ष कोर्ट का आदेश आने के बावजूद भी सर्वे करने की इजाजत नहीं देता है। तीन तलाक का कानून आने पर विरोध करते हैं। शाहीन बाग में कोर्ट का आदेश के बावजूद भी सड़क खाली नहीं करते हैं। इस पर मौलाना असद बीच में बोलने लगे और कहा कि ये डिबेट ज्ञानवापी मुद्दे पर है, इसे भटकाने की कोशिश न करें।

मौलाना असद के बीच में बोलने पर शहजाद पूनावाला ने उन्हें आड़े हाथों लिया और कहा कि “मौलाना साहब, आप बाबा रामदेव का योग कर लीजिए, बीपी कम हो जाएगा”

आगे पूनावाला ने ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे बोलते हुए कहा कि शिव मंदिर में नमाज पढ़ी जाती है तो यह सेक्युलर है। लेकिन अगर हिन्दू कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए ख़ुशी जताते हैं और मिठाई बांटते हैं तो यह सांप्रदायिक है। वहीं, कोर्ट में आज जब हिन्दू पक्ष अपना अधिकार मांगने जाता है तो ये लोग कहते हैं कि अधिकार खत्म हो गया।

पूनावाला के इन आरोपों का जवाब देते हुए मौलाना असद ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने कभी भी श्रृंगार गौरी की पूजा करने का विरोध नहीं किया है। उस पर पाबंदी को जिला प्रशासन की ओर से लगाई गई है। आगे कहा कि जब भव्य काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बना दिया गया है तो ज्ञानवापी की क्या जरुरत पड़ रही है?