प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही बीजेपी सांसदों को दलितों को रिझाने के टिप्स दे रहे हों मगर हाल की कुछ घटनाओं से साबित होता है कि दलित समुदाय का अब पीएम मोदी पर से भरोसा उठता जा रहा है। खुद बीजेपी के अंदरखाने भी दलित समुदाय के सांसद अब खुलकर विरोध करने लगे हैं। पिछले 10 दिनों में यूपी से ताल्लुक रखने वाले बीजेपी के चार दलित सांसदों ने बागी तेवर दिखाए हैं। इनमें से दो ने तो पीएम को बाकायदा चिट्ठी लिखकर दलितों के साथ हो रहे भेदभाव के आरोप लगाए हैं। ताजा घटनाक्रम में यूपी के नगीना से सांसद डॉ. यशवंत सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखकर आरोप लगाया है कि पिछले चार सालों में केंद्र सरकार ने 30 करोड़ दलितों के लिए कुछ नहीं किया।
यशवंत सिंह ने यह भी लिखा है कि वो सिर्फ आरक्षण की वजह से ही सांसद बने हैं। उन्होंने लिखा है कि सरकार या संगठन ने उनकी क्षमताओं का इस्तेमाल नहीं किया जबकि वो पेशे से डॉक्टर हैं और एम्स से एमडी की डिग्री ले चुके हैं। सिंह ने लिखा है, “जब मैं चुनकर आया था, उसी समय स्वयं आपसे मिलकर प्रोमोशन में आरक्षण हेतु बिल पास कराने हेतु अनुरोध किया था, परंतु चार वर्ष बीत जाने के बाद भी इस देश के लगभग 30 करोड़ दलितों के प्रत्यक्ष हित हेतु आपकी सरकार द्वारा एक भी कार्य नहीं किया गया। जैसे बैकलॉग पूरा करना, आरक्षण बिल पास करना, प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण दिलाना आदि।”
बता दें कि एक दिन पहले ही बीजेपी के 39वें स्थापना दिवस पर बीजेपी के दूसरे दलित सांसद अशोक दोहरे ने टीवी चैनल पर आरोप लगाया था कि 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान यूपी में पुलिसकर्मियों ने दलित युवकों को घरों से खींच-खींचकर बाहर निकाला और उनकी पिटाई की। इटावा से सांसद दोहरे का आरोप है कि पुलिस ने उन निर्दोष युवकों पर रासुका समेत फर्जी केस भी लगा दिए। दोहरे के मुताबिक यह दलित समुदाय का अपमान है। उन्होंने इस मामले में पीएम मोदी से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाते हुए दोषी अधिकारियों को दंडित कराने का अनुरोध किया था।
दोहरे से पहले यूपी के रॉबर्ट्सगंज के दलित विधायक छोटेलाल खैरवार ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखकर दलित उत्पीड़न की शिकायत की थी। उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन पर अभद्र व्यवहार करने और आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया था। खैरवार ने आरोप लगाया था कि जब उन्हें सरकारी तंत्र और पार्टी के अधिकारियों से न्याय नहीं मिला तब वो सीएम के दरबार में पहुंचे थे लेकिन दो दिन के बाद सीएम ने खुद उन्हें वहां से खदेड़ दिया और दोबारा नहीं आने की धमकी दी थी। बता दें कि इससे पहले बहराइच से बीजेपी की सांसद सावित्री बाई फूले ने भी बागी तेवर दिखाते हुए लखनऊ में विशाल रैली आयोजित की थी और कहा था कि वो सांसद रहें या नहीं रहें लेकिन एससी-एसटी समुदाय का आरक्षण खत्म करने नहीं देंगी। उन्होंने प्राइवेट क्षेत्र में भी आरक्षण देने की मांग की थी।