सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) विरोधी प्रदर्शनकारियों से वसूले गए करोड़ों रुपये वापस करने का निर्देश दिया है। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA) विरोधी सभी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जारी शो-कॉज नोटिस वापस ले लिए गए हैं।

इसके पहले, पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा था कि नोटिस अदालत की ओर से निर्धारित दिशानिर्देशों के उल्लंघन में थे। सुप्रीम कोर्ट ने कार्यकारी आदेशों के तहत वसूली की कार्यवाही शुरू करने के लिए यूपी सरकार की आलोचना की थी, जिसके अनुसार अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेटों द्वारा दावों का फैसला किया जा रहा था।

वहीं, शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अडिशनल एडवोकेट गरिमा प्रसाद ने बेंच को बताया कि 14 और 15 फरवरी 2022 को 2 सरकारी आदेश जारी किए गए हैं, जिनके संबंध में दिसंबर 2019 से सार्वजनिक संपत्ति के कथित नुकसान के 274 मामलों में जारी कारण बताओ नोटिस को वापस ले लिया गया है। उन्होंने कोर्ट को आगे बताया कि उन मामलों को अब 2020 अधिनियम के तहत गठित ट्रिब्यूनल को भेजा जाएगा। गरिमा प्रसाद ने नए कानून के तहत प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मांगी थी, जिसे कोर्ट ने मान लिया है।

सुप्रीम कोर्ट परवेज आरिफ टीटू द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यूपी में सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस को रद्द करने की मांग की गई थी।

कोर्ट ने सरकार की इस दलील पर हैरानी जताई कि अदालत के आदेश का पालन करने में आचार संहिता कैसे रोक सकती है? जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि रिकवरी कानून के खिलाफ की गई हो और उस आदेश को वापस ले लिए गया तो रिफंड किया जाना चाहिए। सरकार की तरफ से कहा गया था कि आचार संहिता लागू होने के कारण कोर्ट के आदेश को पालन करने में दिक्कत होगी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एमसीसी कानून के आड़े नहीं आ सकता और यह कानून है, नीति नहीं।

पिछले हफ्ते इस मामले की सुनवाई के दौरान सरकार को फटकार लगाते जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था, “क्या आप सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान करते हैं? आप शिकायतकर्ता, अभियोजक और निर्णायक बन गए हैं और आपने आदेश पारित कर दिए हैं? क्या इसकी अनुमति है? यूपी जैसे राज्य में 236 नोटिस कोई बड़ी बात नहीं है। उन्हें एक झटके से वापस लिया जा सकता है। अगर आप नहीं सुनने जा रहे हैं, तो हम आपको बताएंगे कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का पालन कैसे करना है।”