उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक 23 साल पुराने मामले में दोषी करार दिया है। कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को 5 साल कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही मुख्तार अंसारी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
न्यायमूर्ति डी के सिंह ने 2020 में विशेष एमपी-एमएलए अदालत द्वारा बरी करने के आदेश को पलट कर फैसला दिया है। राज्य सरकार के वकील राव नरेंद्र सिंह ने कहा कि 1999 में लखनऊ की हजरतगंज पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। विशेष अदालत ने 2020 में मुख्तार अंसारी को बरी कर दिया था। राज्य सरकार ने 2021 में बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी।
इससे पहले गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ही मुख्तार अंसारी को 19 साल पुराने एक मामले में 7 साल की सजा सुनाई है। यह मामला 2003 का है। जब मुख्तार ने जेल में रहने के दौरान ही जेलर एसके अवस्थी को उनके ही दफ्तर में धमका दिया था और उनके ऊपर पिस्तौल तान दी थी। यह घटना 23 अप्रैल 2003 की है, जब मुख्तार अंसारी जेल में बंद था और उससे मिलने के लिए लोग बेरोकटोक जेल में पहुंचते थे।
इसी क्रम में 23 अप्रैल को भी कुछ लोग मुख्तार अंसारी से मिलने जेल में पहुंचे थे और जेलर एसके अवस्थी ने सभी पुलिसकर्मियों को निर्देश दिया था कि कोई भी जेल में मिलने आए, उनकी सघन तलाशी ली जाए। जेलर का यही निर्देश मुख्तार अंसारी को पसंद नहीं आया और उसने अपने एक परिचित की रिवाल्वर छीनकर जेलर एसके अवस्थी पर तान दी। एफआईआर में यह भी लिखा गया है कि मुख्तार ने जेलर को धमकी देते हुए कहा था कि अपने आप को बहुत ऊंचा समझने लगे हो, जेल से बाहर निकलो तुम्हें मार दूंगा।
इसके साथ ही हाईकोर्ट की एकल पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि गवाहों का मुकर जाना परेशान करने वाला तथ्य है। गवाह धमकी, लालच या अभियुक्त के बाहुबल के कारण मुकर जाते हैं। न्यायालय ने कहा कि वादी तत्कालीन जेलर एसके अवस्थी ने मुख्य परीक्षण में धमकी देने और फिर रिवाल्वर लगाने की बात कही थी, लेकिन बाद में वह मुकर गए। मुख्तार अंसारी पर तीन मामलों में 37 हजार रुपए के जुर्माने की सजा भी सुनाई गई है।