उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में स्थित चकफरीद गांव पूरी तरह वीरान हो गया है। चारो ओर सन्नाटा पसरा है। लगभग सारे मर्द गांव छोड़कर फरार हो चुके हैं। जैसे ही गांव की गलियों में कोई अजनबी दिखता है, महिलाएं और बच्चे अपने-अपने घरों में भाग जाते हैं। गांव की ऐसी स्थिति शनिवार (29 दिसंबर) को भीड़ द्वारा पुलिस कॉन्स्टेबल सुरेश प्रताप वत्स की हत्या के बाद हुई है। यह गांव उस जगह से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां भीड़ ने पुलिस जवानों पर पत्थरबाजी कर दी थी। दरअसल, उस दिन निषाद पार्टी द्वारा प्रदर्शन करने की वजह से जाम लग गया था। पुलिस उस जाम को हटाने की कोशिश कर रही थी। इसी दौरान भीड़ ने पत्थरबाजी कर दी। इस पत्थरबाजी में कॉन्स्टेबल सुरेश प्रताप बुरी तरह घायल हो गए थे और बाद में मौत हो गई थी।

कॉन्स्टेबल सुरेश की मौत के बाद पुलिस ने कुछ ही घंटों बाद चकफरीद गांव में छापेमारी की। यूपी पुलिस ने अब तक 29 लोगों को गिरफ्तार किया है। स्थानीय लोगों ने कहा गांव में करीब एक दर्जन निषाद परिवार रहते हैं। गांव के दलित बस्ती में रहने वाली 30 वर्षीय इंदू कहती हैं, “शाम 7:30 बजे चार वाहनों में सवार होकर पुलिस पहुंची। उनलोगों ने बिना कुछ पूछे गांव के मर्दों की पिटाई शुरू कर दी। दरवाजे तोड़ दिए गए। संपत्ति का नुकसान किया गया। गांव के मर्दों को या तो पुलिस ले गई या फिर वे यहां से भाग गए हैं।”

कॉन्स्टेबल की हत्या के मामले में 32 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। इनमें से 13 लोग चकफरीद गांव व अन्य अंतवा फतेहपुर, बच्चलपुर, गंडपा, पहाड़पुर तुफीर और मनरिया के रहने वाले हैं। गांव के निषाद बस्ती में रहने वाली 55 वर्षीय चंपा देवी के बेटे को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वे कहती हैं, “पुलिस मेरे तीनों बेटे राम प्रसाद, वीरेंद्र और दीपक को ले गई। मेरे तीनों बेटे काम कर शाम में घर वापस लौटे थे। जैसे ही उन्होंने खाने का पहला निवाला अपने मुंह में डाला, पुलिस आ गई और तीनों को जबरदस्ती अपनी गाड़ी में बैठा लेकर चली गई। मैंने उनसे पूछा कि मेरे बेटे ने क्या गलत किया है, लेकिन उनलोगों ने किसी तरह का जवाब नहीं दिया। मुझे अभी यह भी नहीं पता है कि मेरे बेटे कहां हैं।”

रविवार को वाराणसी जोन के एडीजी पीवी रामाशास्त्री ने कहा कि पुलिस ने अबतक 20 लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा, “हालांकि, मुझे पूरी संख्या याद नहीं है लेकिन लगता है कि पुलिस ने बीती रात गांव से 10 लोगों को पकड़ा है।” इसके साथ ही एडीजी ने पुलिस द्वारा चकफरीद गांव के लोगों के साथ किसी तरह के दुर्व्यवहार की बात से इंकार किया है।

प्रत्यक्षदर्शियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जब कॉन्स्टेबल सुरेश प्रताप घायल हो गए तो उन्हें नजदीकी मंदिर में ले जाया गया था। मंदिर के पुजारी धर्मानंद महाराज जी ने कहा, “”शनिवार की शाम करीब 4 बजे निषाद पार्टी के झंडे और बैनर लेकर कुछ लोग सड़क पर इकट्ठे हो गए। उनकी संख्या करीब 300 के आसपास थी। एक माइक के सहारे नारे लगाए जा रहे थे और साथियों को रिहा करने तथा मांगे पूरी करने की बात कही जा रही थी। सड़क दोनों ओर से जाम हो गई। प्रदर्शनकारियों ने वाहनों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था। तब करीब एक दर्जन की संख्या में स्थानीय पुलिस वहां पहुंची। प्रदर्शनकारी पुलिस पर पत्थर फेंकने लगे। तब हमने देखा कि भीड़ ने एक घायल पुलिस जवान (सुरेश) को सड़क किनारे सरसो के खेत में धक्का दे दिया। यह देखते ही हम उन्हें (पुलिस जवान) को बचाने दौड़े। उन्हें मंदिर परिसर में लाया। पानी दिया। कुछ देर बाद पुलिस वाले यहां आए और उन्हें ले गए। बाद में हमें जानकारी मिली कि उनकी मौत हो गई।”