उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद अब प्रयागराज हो गया है। पर बुधवार (17 अक्टूबर) को रेलवे स्टेशन के बोर्डों पर पुराना नाम ही लिखा मिला। ऐसे में उन्हीं बोर्डों पर राष्ट्र रक्षक समूह (आरआरएस) के कार्यकर्ताओं ने प्रयागराज नाम वाले पोस्टर चिपकाए। उन्होंने जंक्शन पर जगह-जगह लगे बोर्डों पर सफेद रंग के ये पोस्टर लगाए, जिन पर बड़े-बड़े अक्षरों में प्रयागराज लिखा था।
आरआरएस कार्यकर्ता उस दौरान कुछ और पोस्टर भी लिए थे। उनके जरिए वे योगी सरकार को शहर का नाम बदलने के लिए बधाई दी गई थी। लिखा था, “प्रयागराज करने के लिए प्रयागवासियों की तरफ से सीएम योगी- पीएम मोदी को राष्ट्र रक्षक समूह धन्यवाद देता है।” वे उस दौरान नारे भी लगा रहे थे।
इससे पहले, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने मंगलवार (16 अक्टूबर) को इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने के फैसले पर मंजूरी दे दी। सीएम योगी नाम बदलने के बाद उसका समर्थन करते हुए कहा कि इस शहर में तीन पवित्र नदियों का संगम होता है। यही कारण है कि इसका नाम प्रयागराज पड़ा। जो इसका नाम बदलने के औचित्य पर प्रश्न उठा रहे हैं, उन्हें इतिहास व संस्कृति की जानकारी नहीं है।
13 अक्टूबर को कुंभ मार्गदर्शक मंडल की बैठक के बाद सीएम ने कहा था, “गंगा-यमुना दो पवित्र नदियों के संगम का स्थल होने के नाते यहां सभी प्रयागों का राज है। इलाहाबाद को इसलिए भी प्रयागराज कहते हैं। सबकी सहमति होगी तो प्रयागराज के रूप में हमें इस शहर को जानना चाहिए।”
गौरतलब है कि जिले का नाम लगभग 443 साल बाद फिर प्रयागराज हुआ है। नाम बदलने का मुद्दा यहां कुंभ मार्गदर्शक मंडल की बैठक में भी छाया रहा था। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने को लेकर काफी लंबे वक्त से आवाजें बुलंद हो रही थीं। राज्यपाल राम नाईक ने भी इसका नाम बदलने पर अपनी सहमति जताई थी।