कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्व में फेरबदल को लेकर मचे घमासान के बीच अब पार्टी के नेता ही एक-दूसरे के आमने-सामने दिखाई दे रहे हैं। पार्टी के अलग-अलग कैडर भी नेताओं को निजी तौर पर निशाना बनाने से नहीं चूक रहे। कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी के हर स्तर पर बड़े बदलावों की मांग की थी। इस पर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले की कांग्रेस कमेटी ने बुधवार को आपात बैठक बुलाई और एक के बाद एक उन सभी 23 कांग्रेस नेताओं के खिलाफ प्रस्ताव पास कर दिए, जिन्होंने चिट्ठी पर हस्ताक्षर किए थे।
लखीमरपुर-खीरी जिला कांग्रेस कमेटी ने इन नेताओं को पार्टी से निकाले जाने की भी मांग की। इसके लिए एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में धड़ाधड़ 5 प्रस्ताव पास किए गए। इनमें एक प्रस्ताव में तो पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की गई। प्रस्ताव में कहा गया कि वे यूपी के अकेले नेता हैं, जिन्होंने चिट्ठी पर हस्ताक्षर किए।
पांच बिंदुओं पर आधारित इन प्रस्तावों को मंजूरी मिलने के बाद कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास भेजा गया है। लखीमपुर-खीरी जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रहलाद पटेल ने कहा, “जिला कार्यकारी कमेटी को यही लगा, हमें इसे ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी को लिखित में भेजने के लिए कहा गया था।” जितिन प्रसाद ने इस प्रस्ताव पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।
जिला कमेटी की ओर से पास किए गए पहले प्रस्ताव में कहा गया कि सोनिया गांधी पार्टी की सबसे बड़ी नेता हैं और कमेटी को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा पर भी पूरा भरोसा है। लेकिन अगर शीर्ष नेतृत्व में बदलाव होता है, तो राहुल गांधी को पार्टी प्रमुख बनना चाहिए। कमेटी ने सोनिया को चिट्ठी लिखने वाले 23 नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि इन नेताओं को पार्टी अध्यक्ष और कांग्रेस में भरोसा नहीं है। तीसरे प्रस्ताव में कहा गया कि मतभेद रखने वाले इन नेताओं ने वही किया है, जो भाजपा सरकार करती आ रही है। वहीं, चौथे प्रस्ताव में 23 नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई और उन्हें पार्टी से निकाले जाने की मांग की गई।
पांचवे प्रस्ताव में मुख्य तौर पर जितिन प्रसाद को निशाना बनाया गया। इसमें कहा गया कि उनके पिता ने सोनिया गांधी के खिलाफ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था, इसके बावजूद उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दिया गया और केंद्रीय मंत्री बनाया गया। कमेटी ने प्रसाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
दूसरी तरफ राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि वे सारे मुद्दों को उठाने के लिए छह महीने तक इंतजार करेंगे, जब तक एक पूर्णकालिक अध्यक्ष चुन नहीं लिया जाता। उन्होंने कहा कि वे इस बात से परेशान नहीं हैं कि राहुल गांधी अगले अध्यक्ष चुने जाते हैं या कोई और। बल्कि वे इससे खुश होंगे कि पार्टी को एक अध्यक्ष मिला। आजाद ने कहा कि हम सिर्फ एक अध्यक्ष चाहते हैं और हम छह महीने में एक चुन कर रहेंगे।