उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस जाति समीकरणों के सहारे जीत हासिल करने की कोशिश में जुट गई है। शनिवार को पार्टी ने ऐलान किया कि अगर कांग्रेस को वाेट दिया तो वह 27 फीसदी के ओबीसी कोटे में ही अति पिछड़ा वर्ग की जातियों(MBCs) के लिए विशेष कोटा देगी। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह वादा विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी के घोषणा पत्र में भी शामिल किया जाएगा। ऐसा पहली बार नहीं जब कांग्रेस ने ऐसा कोई वादा किया है। 2012 के यूपी चुनावों के लिए अपने घोषणा पत्र में भी कांग्रेस ने अनुसूचित जातियों के भीतर अति दलितों तथा MBC के लिए उप-कोटा देने की बात कही थी। कांग्रेस ने आर्थिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों के लिए उप-कोटा पर भी विचार करने की बात कही थी। लेकिन इन वायदों का चुनाव में कोई खास असर नहीं हुआ। शनिवार को पार्टी ने इस विचार को इस उम्मीद के साथ फिर से हवा दी कि शायद इससे MBC और अति-अति पिछड़ी जातियों (EBCs) का समर्थन हासिल हो जाए। इन समूहों के बारे में कांग्रेस का मानना है कि 27 फीसदी के ओबीसी कोटे का फायदा उनको नहीं मिला है, ज्यादातर फायदा एक-दो जातियां उठाने में कामयाब रही हैं।
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कांग्रेस की मंशा गैर-यादवों, गैर-कुर्मी पिछड़ी जातियों तक पहुंच बनाने की है, जिनकी यूपी में अच्छी-खासी जनसंख्या है। करीब 75 जातियों में पार्टी की पहुंच शून्य है। शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने और ब्राह्मण बैठकें आयोजित कर ब्राह्मण समुदाय में बढ़त बनाने के बाद कांग्रेस ब्राह्मणों, गैर-यादव ओबीसी और मुस्लिम वोट आधार का गठबंधन बनाने की उम्मीद लगा रही है। इसी तरह, बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछड़ों और अति पिछड़ों, दलित व महादलित के बीच में फर्क निकाल कर सफल वोट बैंक स्थापित किया था।
आजाद के ‘रिजर्वेशन के भीतर रिजर्वेशन’ देने के वादे के बाद, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को राज्य भर के करीब 150 अति पिछड़े नेताओं से कांग्रेस मुख्यालय में बातचीत की। लेकिन उन्होंने यह खुलासा नहीं किया कि पिछड़ों के लिए निर्धारित 27 प्रतिशत में से MBCs को कितना हिस्सा देने की योजना है। आजाद ने कहा कि राहुल ने नेताओं को बताया कि कांग्रेस सरकार ने कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा में रिजर्वेशन के भीतर रिजर्वेशन देने के लिए कानून पास किए हैं।

