उत्तर प्रदेश के बदायूं में कुछ दिन पहले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा तोड़ दी गई थी, जिसकी सरकार ने अब मरम्मत तो करा दी है, लेकिन इसे भगवा रंग में रंग कर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। दलितों ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की मूर्ति को भगवा रंग में रंगे जाने का विरोध किया है। बता दें कि पिछले दिनों देशभर में कई प्रसिद्ध लोगों की प्रतिमाएं तोड़े जाने की घटनाएं घटी थीं। इसी दौरान उत्तर प्रदेश के बदायूं में बीआर अंबेडकर की प्रतिमा तोड़ी गई। अब सरकार ने इसकी मरम्मत तो करा दी है, लेकिन इसे भगवा रंग में रंग दिया है, जिस पर विवाद होने की संभावना है।

कांग्रेस ने इसकी आलोचना की है। कांग्रेस नेता मीम अफजल का इस मामले पर कहना है कि भाजपा की सरकार सत्ता में है, भगवा का जमाना है, तो इस तरह की हरकतें तो होंगी ही। अब बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की मूर्ति तोड़े जाने और उसे बनाए जाने पर भी सियासत हो रही है। वहीं, इल्जाम कांग्रेस पर लगता है कि वह सियासत करती है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भीमराव अंबेडकर के नाम में रामजी शब्द जोड़े जाने पर भी विवाद हुआ था। दरअसल, भाजपा का तर्क था कि बीआर अंबेडकर का पूरा नाम भीमराव रामजी अंबेडकर था। भाजपा की इस कोशिश पर दलितों का गुस्सा फूट पड़ा था और दलितों ने इसका जमकर विरोध किया। अब एक बार फिर जब भाजपा सरकार ने भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को भगवा रंग में रंग दिया है, तो दलितों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में एसएस/एसटी एक्ट में बदलाव पर भी देशभर में बवाल हुआ था। दलितों की नाराजगी के बाद केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। अब भाजपा सरकार दलितों का विश्वास हासिल करने की भरपूर कोशिश कर रही है। गौरतलब है कि इस बार बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस को भाजपा बड़े ही जोर-शोर से मनाने की तैयारी कर रही है, लेकिन बदायूं में भीमराव अंबेडकर की मूर्ति के भगवा रंग में रंगे जाने पर फिर से भाजपा दलितों के निशाने पर आ सकती है।