उत्तर प्रदेश में 17 अन्य पिछड़ा जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के योगी सरकार के फैसले पर केंद्र ने अडंगा डाल दिया। केंद्र ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। केंद्र की दलील को दरकिनार करते हुए योगी सरकार ने फरमान जारी कर कहा है कि 17 ओबीसी जातियों को एससी का सर्टिफिकेट देना जारी रहे।

केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने संसद में कहा कि किसी वर्ग की किसी जाति को अन्य वर्ग में डालने का अधिकार सिर्फ संसद को है। बीएसपी सांसद सतीश चंद्र मिश्र ने मंगलवार (2 जुलाई 2019) को संसद में इस मुद्दे को उठाते हुए इसे पूर्ण रूप से गैर-संवैधानिक करार दिया था। इसके बाद गहलोत ने इसपर सहमति जताई थी। गहलोत ने राज्य सरकार से इस शासनादेश को वापस लेने के लिए कहा है। साथ ही यह भी कहा कि किसी वर्ग या फिर किसी जाति को अन्य वर्ग में डालने का अधिकार सिर्फ संसद का है।

जिसके बाद सवाल खड़े हुए कि क्या अब इन जातियों के एससी सर्टिफिकेट बनेंगे या नहीं? इस असमंजस की स्थिति को साफ करते हुए समाज कल्याण के प्रमुख सचिव मनोज सिंह ने साफ किया है कि न्यायालय के आदेश के अनुपालन में शासनादेश जारी किया गया है और इसके आधार पर सर्टिफिकेट बनते रहेंगे।

कांग्रेस समर्थन में आई: इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की सरकारी की मुहिम का कांग्रेस ने समर्थन किया है। अनुसूचित जाति विभाग के सचिव एसपी सिंह और उत्तर प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के चेयरमैन भगवती प्रसाद चौधरी ने कहा है कि हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। लेकिन अनुसूचित जातियों के रिजर्वेशन कोटा कोबढ़ाकर 40 फीसद किया जाना चाहिए।

इन जातियों को को शामिल करने का एलान: निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआ, प्रजापति, राजभर, कहार, पोत्तर, मांझी, धीमर, तुरहा और गौड़िया, कुल मिलाकर 17 पिछड़ी जातियों को, अनुसूचित जाति में शामिल करने का ऐलान किया है।