सोमवार को तीन दिवसीय प्रवासी भारतयी सम्मेलन का औपचारिक शुभारंभ हुआ। इस दौरान विदेशी मेहमान भी वाराणसी पहुंचे और शहर को जाना। खास मौके पर भारत पहुंचे लोगों ने न सिर्फ घाटों का लुत्फ उठाया बल्कि भोलेनाथ के दर्शन भी किए। मॉरीशस, साउथ अफ्रीका, इंडोनेशिया, मलेशिया, सामोआ, घाना, इरिट्रिया और ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड आदि देशों से इस खास मौके पर भारत पहुंचे लोगों ने कहा कि प्रवासी भारतीय दिवस की बेहतरीन व्यवस्था और चाक-चौबंद बंदोबस्त देखकर उन्हें बहुत ही अच्छा लगा।

व्यवस्था देख खुश हुए अतिथि: तीन दिवसीय प्रवासी सम्मेलन में त्रिनिदाद टोबैगो तथा दक्षिणी हिंद महासागर के द्वीपीय देशों से 40 सदस्यों के दल में आये शिवनारायण राम गुलाम, फिजी से आए मोहम्मद अख्तर और उनके अधिकतर साथी पहली बार भारत आए हैं। ऐसे में कुछ ने बताया कि उन्हें अपने वंशजों के मूल स्थानों का कुछ पता नहीं, बस केवल इतना मालूम है कि वह भारत से चलकर अफ्रीकी देशों में गए थे। प्रवासी भारतीय दिवस की बेहतरीन व्यवस्था और चाक-चौबंद बंदोबस्त देखकर उन्हें बहुत ही अच्छा लगा।

पुरखों की जड़े तलाशने पहुंची भारत: सम्मेलन में छह पीढ़ी पूर्व तंजानिया चले गए अपने पुरखों की जड़ों को तलाशती भारत पहुंची शमीम ख़ान ने भी प्रवासी भारतीय दिवस के उत्तम प्रबंध, भारत सरकार की मेहमान नवाजी और बनारस के खुले दिल के लोगों की जमकर तारीफ की।बता दें कि शमीम खान के पुरखे कोंकण महाराष्ट्र से अफ्रीका गए थे जहां अब उनके परिवार के लोग सरकार के प्रतिष्ठित पदों पर हैं। खुद शमीम चार बार तंजानिया की सांसद और दो बार उपमंत्री रह चुकी हैं।

गंगा आरती देख भावुक हुए अतिथि: सम्मेलन में शिरकत करने के बाद लगभग 250 प्रवासी मेहमानों का जत्था काशी की विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती देखने दशाश्वमेध घाट पहुंचा। गंगा सेवा निधि द्वारा आयोजित गंगा आरती में सभी मेहमान सम्मलित हुए और इस अद्भुत नजारे को देख भावुक भी उठे। बता दें कि 21 से 23 जनवरी तक संस्था द्वारा विशेष आरती कराई जा रही है। जिसमें 9 ब्राह्मणों द्वारा वह रिद्धि-सिद्धि के रूप में 18 कन्याएं मां गंगा की महाआरती की जाएगी। इसके साथ ही प्रवासी भारतीयों द्वारा मां गंगा का वैदिक रीति से गंगा पूजन किया। संस्था के अध्यक्ष सुशांत मिश्र, सचिव हनुमान यादव, कोषाध्यक्ष आशीष तिवारी द्वारा प्रवासी भारतीयों को ब्रोशर व प्रसाद देकर स्वागत किया गया।

टेंट सिटी में दिखा अलग माहौल: टेंट सिटी की रंगत अलग ही छटा बिखेर रही है। अलग अलग वेश भूषा, पहनावे और रीति रिवाजों के लोग तीन दिनों के इस अस्थायी शहर को गुलजार बनाये हुए हैं। यूं लग रहा है जैसे भारत से दूर रहने वालों इन लोगों में भारतीयता के प्रति अगाध प्रेम और श्रद्धा उमड़ी पड़ रही है। ओमान में रहने वाले केरल मूल के भारतवासी डॉ. पाल एमजे ने बताया कि वह अपनी पत्नी के साथ प्रवासी दिवस में आये हैं। बनारस के कई स्मारकों को देखने की उनकी सालों पुरानी लालसा पूरी हो रही है।

बीएचयू में युवा प्रवासी व छात्रों के बीच संवाद: प्रवासी भारतीय दिवस के पहले दिन सोमवार को युवा प्रवासी भारतीय संवाद का आयोजन किया गया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतन्त्रता भवन में यह संवाद (इण्टरेक्शन) कार्यक्रम आयोजित किया गया। संवाद कार्यक्रम का संचालन बीएचयू यूनेस्कों चेयर प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय ने किया।युवा प्रवासी भारतीय का स्वागत तिलक लगाकर किया गया।

इन मुद्दों पर हुआ संवाद: युवा प्रवासी भारतीय तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पांच-पांच छात्र-छात्राओं के पैनल के मध्य संवाद (इण्टरेक्शन) कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमे राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका, ‘स्वास्थ्य समाज के निर्माण में खेल की भूमिका और डिजिटल इंडिया जैसे मुद्दों पर संवाद किया गया।