कर्नाटक में सरकारी स्तर पर हिंदी दिवस मनाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल एस नेता एचडी कुमारस्वामी ने राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर इसको नहीं मनाने और इस पर पैसा खर्च करने से बचने की सलाह दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से कहा है कि हिंदी दिवस मनाना देश के साथ अन्याय होगा। पत्र में उन्होंने यह पूछा कि हम हिंदी दिवस क्यों मनाएं।

इसके जवाब में कर्नाटक के शिक्षा मंत्री ने बीसी नागेश ने कहा, “एचडी कुमारस्वामी सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा कह रहे हैं, कर्नाटक के लोग राजनीतिक मकसद को समझते हैं और वे परवाह नहीं करेंगे।” उन्होंने कहा कि हिंदी दिवस मनाने की परंपरा न तो भाजपा ने शुरू की है और न ही पीएम मोदी ने इसको लागू किया है। यह परंपरा 1949 से चली आ रही है। और हर वर्ष पूरे देश में उत्साह के साथ मनाई जाती है।

उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा सरकार मानती है कि हिंदी सहित देश की सभी भाषाओं का पूरा सम्मान होना चाहिए और उसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए। कहा कि कर्नाटक के लोग एचडी कुमारस्वामी के आह्वान पर कोई ध्यान नहीं देंगे। हालांकि, पुलिस कोई चांस नहीं ले रही है और पूरे राज्य में, खासकर बेंगलुरु में कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित करने का फैसला किया है।

शिक्षा मंत्री ने कहा- मनाना गलत है तो उनके पिता देवगौड़ा क्यों मनाते थे

कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा अगर जनता दल एस की यही विचारधारा है तो उनके पिता अपने मुख्यमंत्रित्व काल में हिंदी दिवस क्यों मनाते थे। उन्हें इसका आयोजन नहीं करना चाहिए था। कहा, “भाजपा सरकार भारत की सभी क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।”

कुमारस्वामी ने कहा कि, “देश में हजारों भाषाएं और उप-भाषाएं शामिल हैं और यह कई प्रांतों का एक महान संघ है जिसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक लोकाचार एक साथ आने के लिए सहमत हैं।” ऐसे में “इस भूमि पर एक भाषा को तरजीह देना देश का अपमान है। 14 सितंबर को केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित हिंदी दिवस कर्नाटक में जबरदस्ती मनाना सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा कन्नड़ियों के साथ विश्वासघात होगा।” एचडी कुमारस्वामी के पत्र पर बीसी नागेश ने कहा कि भाषा हमसे भेदभाव नहीं करती है।