Vidhan Sabha Session: उत्तर प्रदेश विधानसभा ने अपनी एक विशेष पहल के अंतर्गत विधानसभा में एक महिलाओं को बोलने के लिए रखा गया है। इस पहल के मुताबिक विधानसभा में सभी महिला विधायक सदन में महिला केंद्रित मुद्दों पर अपनी आवाज उठाएंगी। इसके लिए 22 सितंबर का दिन निश्चित किया गया है जब सदन में सभी महिला विधायक महिलाओं के मुद्दों को सदन में उठाएंगी। सोमवार से 5 दिवसीय मॉसून सत्र बुलाया गया है। रविवार को हुई सर्वदलीय और कारोबारी सलाहकार समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया।

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने रविवार को मीडिया से बातचीत में बताया, “22 सितंबर को हम महिला विधायकों को बोलने का मौका देंगे। यह ऐसा कुछ है जो देश में किसी अन्य विधानसभा ने नहीं किया है … प्रश्नकाल के बाद का समय महिला विधायकों द्वारा चर्चा के लिए आरक्षित किया जाएगा।” उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा में केवल 47 महिला विधायक हैं, जिनमें से 22 महिलाएं पहली बार विधायक चुनी गईं हैं।

लखीमपुर खीरी मामले के बाद विपक्ष उठा रहा सवाल

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब लखीमपुर खीरी में दो दलित बहनों की कथित तौर पर बलात्कार के बाद हत्या की घटना सामने आई है। इस घटना को लेकर विपक्ष राज्य में लगातार महिला सुरक्षा के मुद्दों को लेकर सवाल उठा रहा है। इसी समय समाजवादी पार्टी के नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की अगुवई में एक पदयात्रा निकाली। सपा के नेता कार्यकर्ताओं के साथ विधानसभा की ओर बढ़ रहे थे तभी उन्हें रास्ते में ही रोक लिया गया। जिसके अखिलेश यादव अपने विधायकों और कार्यकर्ताओं के साथ वहीं सड़क पर धरने पर बैठ गए थे।

महिला विधायकों ने किया फैसले का स्वागत

इस फैसले पर सदन की महिला विधायकों निर्णय का स्वागत करते हुए कहा, वो अपने पुरुष समकक्षों की प्रतिक्रिया देखना चाहती हैं कि जब वो मुद्दे उठाती हैं तो वो कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के ने बताया कि प्रश्नकाल हमेशा की तरह 22 सितंबर को लिया जाएगा क्योंकि प्रत्येक दिन के लिए प्रश्न अलग रखे गए हैं। अधिकारी ने बताया, “प्रश्नकाल के बाद दिन की शेष कार्यवाही महिला विधायकों और महिला मुद्दों के लिए होगी। भविष्य में भी एक दिन विधायकों के एक समूह या इस तरह से मुद्दों को समर्पित किया जा सकता है।”

मेरे पास इसके लिए विजन हैः बीजेपी विधायक डॉ. सुरभि

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, सत्तारूढ़ भाजपा के गठबंधन सहयोगी अपना दल की डॉ सुरभि ने कहा, “मुझे लगता है, यह एक महान अवसर है और अन्य राज्य विधानसभाओं के अनुसरण के लिए एक मिसाल कायम करेगा। मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र की महिलाओं के मुद्दों को उठाने का फैसला किया है। जबकि सरकार महिला सुरक्षा के लिए कई कदम उठा रही है, मेरे पास लड़कियों के लिए कस्तूरबा विद्यालयों में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल क्लासरूम स्थापित करने और अन्य महिला-केंद्रित संस्थानों को मजबूत करने का एक विजन है।

कांग्रेस विधायक आरधना मिश्रा ने किया फैसले का स्वागत

कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा ने विधायकों की सामूहिक बैठक में अध्यक्ष सतीश महाना से बातचीत के बाद कहा,“हम इस कदम का स्वागत करते हैं। हम महिला सुरक्षा के मुद्दे को उठाने जा रहे हैं ताकि लखीमपुर खीरी या बांदा में हुई घटनाओं को नजरअंदाज न किया जाए क्योंकि वे महिला सुरक्षा के बारे में भाजपा सरकार के दावों पर गंभीर सवालिया निशान लगाते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी विधायकों से कहा कि महिला सदस्यों के लिए एक दिन अलग रखने के अद्वितीय कदम का विधान परिषद में अनुकरण किया जाना चाहिए और संसदीय मामलों के मंत्री सुरेश खन्ना से विशेष सत्र के दौरान दोनों सदनों में एक महिला सदस्य को पीठ अधिकारी बनाने के लिए कहा।