उत्तर प्रदेश के मेरठ के सरधना इलाके में बीते दिनों संगीत सोम सेना के द्वारा अंजाम दिए गए घटनाक्रम के बाद खाने के ठेले लगाने वालों के बीच अभी भी डर बना हुआ है। हालांकि, प्रशासन ने खाने के ठेले में तोड़फोड़ व लूटपाट की घटना में आरोपियों पर कार्रवाई की थी लेकिन अब निहारी, कोरमा, बिरयानी बेचने वाले अधिकतर दुकानदार दाल-रोटी बेच रहे हैं। हालांकि, प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि नवरात्रि के दौरान मांस न बेचने का कोई लिखित आदेश नहीं है।

उत्तर प्रदेश के सरधना में मेरठ रोड पर बस स्टैंड के पास तसनीम अहमद कई सालों से निहारी, कोरमा और बिरयानी बेचने का अच्छा कारोबार कर रहे थे। लेकिन जिस दिन से नवरात्रि उत्सव (बीते 2 अप्रैल से) शुरू हुआ है, तब से वह केवल दाल-रोटी बेच रहे हैं। तसनीम बताते हैं कि, पहले भी मौखिक आदेश होता था लेकिन अब चीजे तेजी से बदल गई हैं। क्योंकि अब दुकानदारों के साथ हाथापाई हो जाती है। यह सब डरावना है इसलिए शाकाहारी खाना बेच रहे हैं।

दरअसल, तसनीम उस घटना का जिक्र कर रहे हैं, जिसमें संगीत सोम सेना से जुड़े लोगों ने बीते दिनों एक दुकानदार के ठेले में तोड़फोड़ की थी। सेना से जुड़े लोगों का दावा था कि वह मटन बिरयानी बेच रहा था। फिर पुलिस ने एक्शन लेते हुए संगठन के यूपी प्रमुख सचिन खटीक और दस अन्य के खिलाफ सांप्रदायिक शांति भंग करने की कोशिश में मामला दर्ज किया था। दरअसल, सोम सेना ने ही नवरात्रि के दौरान सरधना में मांस और मांसाहारी भोजन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया था।

सरधना में अधिकांश फूड स्टॉल मालिकों के मुताबिक, कोरोना के कारण उन्हें बीते दो सालों में काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में अनौपचारिक मांस प्रतिबंध और अधिक महंगा पड़ रहा है। तसनीम के मुताबिक, पहले वह प्रतिदिन चार से पांच हजार रूपये कमा लेते थे लेकिन अब दाल-रोटी बेचकर बहुत कम पैसे कमा पा रहे हैं। स्थानीय दुकानदारों के अनुसार, इस बार नवरात्र और रमजान एक साथ ही शुरू हुए, ऐसे में रमजान के दौरान घरों में जाने वाला पार्सल भी बंद हो गया है।

सरधना के कुछ स्थानीय लोगों का दावा है कि इस बार कसाई भी घरों में मांस की आपूर्ति करने से इनकार कर रहे हैं। 70 वर्षीय शाहिद अंजार कहते हैं कि यह मेरे जीवन में शायद पहली बार है कि मैं बिना मांसाहारी भोजन किए रोजा रख रहा हूं। क्योंकि इस बार हर कोई मांस बेचने से डर रहा है। इलाके में कई लोग इफ्तारी के लिए खाना पैक कराने के लिए देखे गए लेकिन उनसे कहा गया कि नॉन-वेज के आइटम नवरात्रि के बाद ही मिल पाएंगे।

शहर के पुलिस बूथ के बगल में स्टॉल लगाने वाले विक्रेता ने कहा कि रमजान में हमें थोक आर्डर मिलते हैं। लेकिन वह नहीं चाहते कि उनकी खाने की गाड़ियों पर हमला हो। उनका कहना है कि पुलिस की कार्रवाई के बावजूद भी सोम सेना के सदस्य उन पर निगरानी रखते हैं। जबकि तोड़फोड़ की घटना के बाद सरधना पुलिस स्टेशन के एसएचओ लक्ष्मण वर्मा ने पुष्टि की थी कि मांसाहारी व्यंजनों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का कोई लिखित आदेश नहीं है।

इस मामले पर सोम सेना के सचिन खटीक कहते हैं कि, “हम इस मुद्दे को उठाना जारी रखेंगे। क्षेत्र में मांस की बिक्री से भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। हमने पुलिस को इस बारे में बता दिया है और अब यह उन पर निर्भर है कि वे इलाके में शांति सुनिश्चित करें।” जबकि शहर के स्थानीय निवासी भी इस मामले में उदासीन दिखे, उनका कहना रहा कि, हम नहीं चाहते कि क्षेत्र में शांति भंग हो। कुछ दिनों की बात है, यदि मांग पर पालन किया गया तो कोई समस्या नहीं होगी।