नेपाल में हुई भारतीय महिला राखी श्रीवास्तव की मौत का खुलासा उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने कर दिया है। बता दें कि गोरखपुर के आर्यन हॉस्पिटल के मालिक डॉ. डीपी सिंह को उनकी प्रेमिका की हत्या के आरोप में यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया। वहीं हत्या के इस मामले में मददगार रहे डॉ. सिंह के दो कर्मचारियों को भी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। इन कर्मचारियों ने अपना जुर्म कबूल भी लिया है। उनके मुताबिक राखी को पोखरा में पहाड़ से खाई में ढकेल दिया गया था।

क्या है पूरा मामला
यूपी एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश ने इस पूरे मामले में पड़े सस्पेंस से पर्दा उठाया। अमिताभ ने बताया कि शाहपुरा क्षेत्र के बिछिया की रहने वाली राजेश्वरी उर्फ राखी श्रीवास्तव जून में रहस्यमय हाल में लापता हो गई थीं। राखी के भाई अमर प्रकाश ने शाहपुर थान में 4 जुलाई को गुमशुदगी दर्ज कराई थी। उसने उसके दूसरे पति बिहार के वजीरगंज थाना क्षेत्र स्थित लोहगरा निवासी मनीष सिन्हा पर उसकी बहन को गुमशुदा करने का आरोप लगया था। जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी।

पुलिस ने शुरू की जांच
जांच में पुलिस को डीपी सिंह पर शक हुआ। जिसके बाद पुलिस ने उनके मोबाइल लोकेशन और कॉल डिटेल्स खंगालना शुरू किया। जिस में पता लगा कि जिस वक्त से राखी गायब है उस वक्त डीपी सिंह नेपाल में थे। वहीं जांच में पता लगा कि 8 जून को एक महिला का शव मिला है। एसटीएफ ने उसकी पहचान राखी के रूप में करने के बाद जांच का दायरा बढ़ा दिया।

कैसे हुआ पुलिस को शक
आईजी ने बताया कि एक से चार जून तक राखी का मोबाइल लोकेशन नेपाल में था। वो अपने पति मनीष के साथ फ्लाइट से नेपाल गई थी। राखी नेपाल में ही रुक गई और मनीष लौट आया। उस दौरान राखी से बातचीत के बाद डीपी सिंह अपने दो साथियों प्रमोद कुमार सिंह और देशदीपक के साथ नेपाल पहुंचे। राखी को लेकर तीनों पोखरा गए वहां उसे शराब में नशीली दवा पिलाकर तीनों ने उसे पहाड़ से ढकेल कर उसकी हत्या कर दी। सारंग कोटा जिला कास्की पोखरा नेपाल से 8जून को राखी का शव बरामद हुआ था।

कैसे फंसी डॉक्टर के जाल में
आईजी ने बताया कि राखी के पिता की तबीयत खराब थी तब वो डीपी सिंह के आर्यन हॉस्पिटल में ही भर्ती हुए थे। जिसके चलते दोनों के बीच नजदीकी बढ़ने लगी। इसके बाद राखी ने पत्नी के दर्जा देने का दवाब बनाना शुरू तो फरवरी 2011 में डीपी सिंह ने गोण्डा के एक मंदिर में राखी से शादी कर ली। इस शादी के बारे में उस समय डीपी सिंह की पहली पत्नी ऊषा सिंह को जानकारी नहीं थी। दोनों से एक बेटी भी पैदा हुई थी जिसकी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

बना ली थी हत्या की योजना
डॉक्टर डीपी सिंह ने राखी को रास्ते से हटाकर पूरे विवाद को खत्म करने की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने इसके लिए अपने ड्राइवर प्रमोद कुमार सिंह और कर्मचारी देशदीपक को तैयार किया। आईजी के मुताबिक कर्मचारियों को इस हत्या के बाद पांच हजार रुपये वेतन में बढोतरी करने की डॉक्टर ने लालच दी थी जिसके बाद वे तैयार हो गए थे। जब राखी अपने पति के साथ नेपाल पहुंची तब डॉक्टर को जानकारी हो गई उसने मिलने के लिए कहा तो राखी ने पति को यह कहते हुए भेज दिया कि वह अभी यहां रुकेगी उसे और काम है। पति चला गया उसके बाद डॉ. अपने कर्मचारियों के साथ पहुंच गए।

सोशल मीडिया पर करते थे जिंदा होने का दिखावा
आईजी अमिताभ ने बताया कि हत्या के बाद आरोपियों ने सोशल मीडिया पर उसे जिंदा रखने की कोशिश की थी। उन्होंने उसका मोबाइल अपने पास रख लिया था और अलग अलग जगहों से सोशल मीडिया पर अपडेट कर रहे थे। आखिरकार पकड़े जाने से पहले उन्होंने राखी के फोन को गुवाहटी में फेंका था।

आरोपियों को मिलेगी सजा
यूपी एसटीएफ ने बताया कि हमारे पास काफी सबूत हैं और आरोपियों को सजा मिलेगी। इसके साथ ही शव के पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट नेपाल से मिलेगी।