चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश की मतदाता सूची का ड्राफ्ट पब्लिश करने की तारीख को 31 दिसंबर से स्थगित कर 6 जनवरी 2026 तक के लिए टाल दिया है। इस बीच मिली जानकारी के मुताबिक, मतदाता सूचियों के चल रहे विशेष गहन संशोधन (SIR) के कारण लगभग 2.89 करोड़ मतदाताओं या 18.70% मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस को मिले आंकड़ों से पता चलता है कि 27 अक्टूबर को 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में यह प्रक्रिया शुरू होने के बाद से उत्तर प्रदेश में एसआईआर सूची में यह तीसरा बदलाव है। इस महीने की शुरुआत में प्रकाशित संबंधित राज्यों की ड्राफ्ट लिस्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक नाम हटाए जाने की संभावना है जबकि तमिलनाडु (15%) और गुजरात (14.5%) क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहेंगे।
मतदाताओं के नाम हटाए जाने का कारण
अन्य राज्यों की तरह, जहां एसआईआर की ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित हो चुकी है, मतदाताओं के नाम हटाए जाने का कारण संभवतः मृत घोषित होना, स्थानांतरित होना/अनुपस्थित होना या एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत होना है। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिनवा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि रेशनलाइजेशन एक्सरसाइज के दौरान 15,030 नए मतदान केंद्र बनाए जाने के कारण मतदाता सूची का प्रकाशन स्थगित कर दिया गया है। मतदाताओं के नाम नए बूथों में स्थानांतरित किए जाएंगे, भाग क्रमांक आवंटित किए जाएंगे, मतदान अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे और इन नए बूथों पर भी मतदाता सूची 6 जनवरी को प्रकाशित की जाएगी, जो कि डाफ्ट लिस्ट पब्लिकेशन की नई डेट है।
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मतदाता सूची का ड्राफ्ट 6 जनवरी को प्रकाशित किया जाएगा
राज्य में मतदाता सूची की तारीखों में बदलाव करते हुए चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि मतदाता सूची का ड्राफ्ट 6 जनवरी को प्रकाशित किया जाएगा। 6 जनवरी से 6 फरवरी तक आपत्तियां और दावे प्राप्त किए जाएंगे। नोटिस जारी करने, आपत्तियों और दावों का निपटारा करने और गणना प्रपत्रों (EF) पर निर्णय लेने का कार्य अधिकारियों द्वारा 6 जनवरी से 27 फरवरी तक किया जाएगा और मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 6 मार्च को होगा।
यूपी के एसआईआर कार्यक्रम के लिए चुनाव आयोग द्वारा यह तीसरी बार समय बढ़ाया गया है। पहली बार 30 नवंबर को चुनाव आयोग ने सभी 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मतगणना चरण की समय सीमा एक सप्ताह बढ़ाकर 4 दिसंबर से 11 दिसंबर कर दी थी। फिर 11 दिसंबर को चुनाव आयोग ने छह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मतगणना की समय सीमा और बढ़ा दी जिनमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है।
एसआईआर का पहला चरण, जिसमें मतदाताओं द्वारा गणना प्रपत्र जमा किए गए थे, 26 दिसंबर को समाप्त हो गया। समय सीमा समाप्त होने के बाद, सूत्रों ने बताया कि राज्य में कुल 15.44 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 2.89 करोड़ (18.70 प्रतिशत) मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाने के लिए चिह्नित किया गया है क्योंकि उनके गणना प्रपत्र एकत्र नहीं किए गए थे।
UP SIR: शहरी जिलों में मतदाता सूची से नाम हटाने की संख्या अधिक
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि राज्य के मुख्य रूप से शहरी जिलों में मतदाता सूची से नाम हटाने की संख्या अधिक है। सबसे अधिक वोट रद्द होने वाले शीर्ष 10 जिले लखनऊ (12 लाख वोट या 39.94 लाख मतदाताओं का 30%), प्रयागराज (11.56 लाख या 46.92 लाख मतदाताओं का 24.64%), कानपुर नगर (9 लाख या 35.38 लाख का 25.5%), आगरा (8.36 लाख या 36 लाख का 23.25%), गाजियाबाद (8.18 लाख या 28.37 लाख का 28.83%), बरेली (7.14 लाख या 34.05 लाख का 20.99%), मेरठ (6.65 लाख या 26.99 लाख का 24.66%), गोरखपुर (6.45 लाख या 36.66 लाख का 17.61%), सीतापुर (6.23 लाख या 31.90 लाख का 19.55%) और जौनपुर (5.89 लाख या 35.70 लाख का 16.51%) हैं।
