उत्तर प्रदेश में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का पहला चरण समाप्त होने के करीब है। इस सबके बीच भाजपा के लिए चिंता का कारण यह है कि शहरी मतदाताओं की एक बड़ी संख्या अपने ग्रामीण इलाकों में स्थानांतरित होने का विकल्प चुन रही है। इसके चलते शहरी क्षेत्रों में पार्टी के लिए समस्या पैदा हो सकती है जो पारंपरिक रूप से इसका मजबूत क्षेत्र रहा है।
इस बीच शहरी मतदाताओं द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों को चुनने की रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए राज्य भाजपा नेतृत्व पिछले सप्ताह हरकत में आया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ऑनलाइन बैठक के दौरान राज्य के सभी पार्टी सांसदों और विधायकों को एसआईआर पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया। तब से, दोनों उपमुख्यमंत्री, केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, राज्य इकाई के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और महासचिव (संगठन) धर्मपाल सिंह लगातार सक्रिय हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता विभिन्न शहरी निर्वाचन क्षेत्रों की यात्रा कर एसआईआर कार्य की समीक्षा कर रहे हैं और कार्यकर्ताओं से यह सुनिश्चित करने के लिए कह रहे हैं कि शहरी मतदाता अपने मौजूदा निर्वाचन क्षेत्र में अपना मतदान का अधिकार बरकरार रखें।
बीजेपी ने ने सांसदों, विधायकों और पदाधिकारियों को दिया यह निर्देश
सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने सांसदों, विधायकों और पदाधिकारियों से कहा है कि अगर आवश्यक हो तो अगले कुछ दिनों तक किसी भी शादी में शामिल न हों और इस समय का उपयोग एसआईआर की निगरानी के लिए करें। सीएम आदित्यनाथ ने रविवार को सहारनपुर और अलीगढ़ के पार्टी पदाधिकारियों और प्रतिनिधियों के साथ एसआईआर पर चर्चा की।
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लखनऊ में भाजपा के लगभग 10-12% मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानांतरित हो सकते
लखनऊ में , भाजपा का अनुमान है कि लगभग 10-12% मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानांतरित हो सकते हैं (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के 21.73 लाख मतदाताओं में से 12%, कुल मतदाताओं की संख्या 2.6 लाख के बराबर है)। सूत्रों ने बताया कि स्थानीय सांसद और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस मुद्दे पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से बात की है। सूत्रों ने बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी पार्टी के शीर्ष नेताओं से बात की है और उन्हें इस मामले पर विचार करने को कहा है।
एक पार्टी नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, शहर में ऐसे लोग हैं जिनकी संपत्तियाँ यहाँ से 20-200 किलोमीटर के दायरे में हैं और वे अपना वोट अपने गाँव के पते पर स्थानांतरित कराना चाहते हैं। हम उनसे अनुरोध कर रहे हैं कि वे अपना वोट शहर में ही रखें। फिर भी अगर वे नहीं मानते हैं तो हम उनसे कहेंगे कि वे अपने परिवार के केवल एक सदस्य का गाँव का पता स्थानांतरित करें और बाकी लोगों का शहर में ही रखें।”
शहरी मतदाता को लेकर BJP को है यह चिंता
नेता ने आगे कहा, “हम इसलिए भी चिंतित हैं क्योंकि शहरी मतदाता आमतौर पर मतदान के दिन कोई उत्साह नहीं दिखाते। अगर उनका मतदान गाँवों में स्थानांतरित हो जाता है तो वे शहरी मतदाता वोट डालने के लिए इतनी दूर नहीं जाएँगे। यह हमारे लिए नुकसानदेह हो सकता है क्योंकि ऐसे कई मतदाता हमारे समर्थक हैं।”
भाजपा नेताओं ने बताया कि उन्हें शहरी निर्वाचन क्षेत्रों से दूर इस बदलाव का पता तब चला जब उन्होंने कुछ सीटों पर कम संख्या में नामांकन फॉर्म जमा होने के कारणों के बारे में पूछताछ की। कई शहरी मतदाता, जिनके ग्रामीण इलाकों में उनके पैतृक निवास पर खेत और अन्य अचल संपत्तियां हैं, ने आशंका जताई कि अगर वे अपने गांवों में मतदाता नहीं रहे तो उनका मालिकाना हक छिन सकता है।
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भाजपा नेताओं ने बताया कि उन्हें शहरी निर्वाचन क्षेत्रों से दूर इस बदलाव का पता तब चला जब उन्होंने कुछ सीटों पर कम संख्या में नामांकन फॉर्म जमा होने के कारणों के बारे में पूछताछ की। कई शहरी मतदाता जिनके ग्रामीण इलाकों में उनके पैतृक निवास पर खेत और अन्य अचल संपत्तियां हैं, ने आशंका जताई कि अगर वे अपने गांवों में मतदाता नहीं रहे तो उनका मालिकाना हक छिन सकता है।
नेता और बीएलए वोटर्स से फोन पर संपर्क कर रहे
प्रयागराज में एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “हमने इन मतदाताओं की पहचान कर ली है और हमारे नेता और बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) उनसे फोन पर संपर्क कर रहे हैं और व्यक्तिगत रूप से मिल रहे हैं ताकि उन्हें यह विश्वास दिलाया जा सके कि अगर वे शहर में मतदाता बने रहेंगे तो उन्हें अपने गांव की संपत्तियों के साथ कोई समस्या नहीं होगी।” प्रयागराज में पार्टी के अनुमान के अनुसार लगभग 2 लाख मतदाताओं ने अपने वोटों को वापस अपने गांवों में स्थानांतरित करने का विकल्प चुना है।
2017 में सत्ता में आने के बाद से ही भाजपा उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक प्रमुख ताकत रही है लेकिन शहरी इलाके हमेशा से उसकी ताकत रहे हैं और यह सिलसिला पिछले कुछ चुनावों में भी जारी रहा है, भले ही उसका प्रदर्शन अच्छा न रहा हो। 2024 के लोकसभा चुनावों में जब पार्टी की सीटें लगभग आधी रह गईं, भाजपा ने 17 शहरी सीटों में से 12 पर जीत हासिल की। यह 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के प्रदर्शन में देखने को मिला जब उसने 86 शहरी विधानसभा क्षेत्रों में से 65 पर जीत हासिल करते हुए सत्ता में वापसी की थी जबकि सपा ने 18 और भाजपा की सहयोगी अपना दल (सोनीलाल) ने तीन सीटें जीती थीं 2023 के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में, भाजपा ने सभी 17 महापौर सीटें और 17 नगर निगमों में 57% पार्षद पद जीते थे, जिससे शहरी क्षेत्र में उसका प्रभुत्व रेखांकित हुआ था।
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