UP News: उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण एक बड़ा मुद्दा रहा है। धर्मांतरण और लव जिहाद से जुड़े मामलों को लेकर सरकार ने कई बड़े फैसले भी किए हैं। वहीं धर्मांतरण से ही जुड़े एक मामले में एक पुलिस ऑफिसर की मुसीबत बढ़ गई है। धर्मांतरण के केस में आरोपी बनाए गए दो लोगों को बरेली की एक निचली अदालत ने बरी कर दिया और जिले के मुख्य पुलिस अधिकारी को आदेश दिया कि वे इस केस में जांच करके चार्जशीट दायर करने वाले पुलिस ऑफिसर के खिलाफ ही जांच करें।
निचली अदालत के एडिशनल जज ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने धर्मांतरण के मामले में आरोपित दो लोगों को बरी किया, जिनके नाम अभिषेक गुप्ता और कुंदन लाल हैं। इस मामले की सहायक सरकारी वकील सुनील पांडे दी है। कोर्ट ने जांच करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ भी एक्शन लेने की बात कही है।
40 लोगों के धर्मांतरण के प्रयास का आरोप
सरकारी वकील ने बताया कि साल 2022 में बिठरी चैनपुर पुलिस ने दक्षिणपंथी हिंदूवादी संगठन के नेता हिंमांशु पटेल की शिकायत पर अभिषेक गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया था। इसके अलावा कुंदन लाल को भी पुलिस ने उसी दौरान गिरफ्तार किया था।
जानकारी के मुताबिक दोनों पर आरोप था कि दोनों ही 40 से ज्यादा लोगों का ईसाई धर्म में परिवर्तन करने का प्रयास कर रहे थे। जांच में यह भी सामने आया कि अभिषेक गुप्ता रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज में एक टेक्नीशियन के तौर पर कार्यरत था।
दोनों के खिलाफ लगे आरोपों को लेकर पुलिस ने 19 दिसंबर 2022 को चार्जशीट दाखिल की थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अभिषेक गुप्ता और कुंदनलाल दोनों को ही बरी कर दिया। अदालत का कहना था कि इस मामले में केस को मजबूती देने के लिए पर्याप्त सबूत ही नहीं है।
पुलिस अफसर के खिलाफ ही बैठाई जांच
कोर्ट द्वारा बरी किए गए अभिषेक गुप्ता के वकील इमरान रजा ने कहा है कि इस मामले में सख्त एक्शन लेते हुए निचली अदालत के जज ने बरेली के एसएसपी को बड़ा आदेश दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस केस में जो पुलिस अधिकारी जांच कर रहा था, और जिसने इस मामले में चार्जशीट दायर की थी। एसएसपी की निगरानी में उसके खिलाफ जांच की जाए।
