उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव को लेकर राज्य में सियासी हलचलें बढ़ती जा रही हैं। भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल पूरे जोरशोर के साथ तैयारियों में जुटे हुए हैं। इस बीच बसपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के बयान से सियासी माहौल और गरमा गया है।

उन्होंने रविवार (30 अप्रैल, 2023) को कहा कि उनकी पार्टी द्वारा नगर निगम चुनावों में मुस्लिम समाज को उचित भागीदारी दिए जाने के कारण जातिवादी एवं साम्प्रदायिक दलों की नींद उड़ी हुई है। उन्होंने ट्विटर पर एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं। इसमें उन्होंने लिखा, “उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के तहत 17 नगर निगमों में महापौर पद के लिए हो रहे चुनाव में बसपा द्वारा मुस्लिम समाज को भी उचित भागीदारी देने को लेकर यहां राजनीति काफी गरमाई हुई है और इससे खासकर जातिवादी एवं साम्प्रदायिक दलों की नींद उड़ी हुई है।”

एक और ट्वीट में उन्होंने कहा, “बसपा ‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ की नीति व सिद्धांत पर चलने वाली अंबेडकरवादी पार्टी है और इसने इसी आधार पर उत्तर प्रदेश में चार बार अपनी सरकार चलाई। इसने मुस्लिम एवं अन्य समाज को भी हमेशा उचित प्रतिनिधित्व दिया। अतः मैं लोगों से विरोधियों के षड्यंत्र के बजाय अपने हित पर ध्यान केंद्रित करने की अपील करती हूं।”

उत्तर प्रदेश में चार मई और 11 मई को नगर निकाय चुनाव होने हैं और मतगणना 13 मई को की जाएगी। बसपा ने इन चुनावों में महापौर के पदों के लिए 64 फीसद से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। उनके इस कदम से समाजवादी पार्टी के परंपरागत वोट बैंक में कटौती हो सकती है।

सपा और कांग्रेस ने इसे वोट काटने की रणनीति करार दिया है। बसपा ने लखनऊ, मथुरा, फिरोजाबाद, सहारनपुर, प्रयागराज, मुरादाबाद, मेरठ, शाहजहांपुर, गाजियाबाद, अलीगढ़ और बरेली नगर निगमों में महापौर पद के लिए मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं। वहीं, सपा और कांग्रेस ने सिर्फ चार-चार मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया है। भाजपा ने महापौर की किसी भी सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है।