UP Nikay Chunav 2023: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा गेम खेला है। बीजेपी ने अलीगढ़ जिले के 90 वार्ड में से 19 वार्ड में मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट देकर चौंका दिया है। बीजेपी के इस कदम को कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए ‘रणनीतिक’ कदम बता रहे हैं।
अलीगढ़ नगर निगम में कुल 90 वार्ड हैं। यहां दूसरे चरण में 11 मई को वोट डाले जाएंगे। 2017 निकाय चुनाव में भाजपा अलीगढ़ की मेयर सीट हार गई थी। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के मोहम्मद फुरकान निर्वाचित हुए थे।
केंद्र की योजनाओं को लाभ सभी को मिल रहा: विवेक सारस्वत
अलीगढ़ में भाजपा के शहर इकाई अध्यक्ष विवेक सारस्वत ने कहा, ‘अलीगढ़ में 90 वार्डों में होने वाले पार्षद चुनाव में इस बार हमने 19 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। मुस्लिम समुदाय के लोग इस बात को महसूस कर रहे हैं कि केवल भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है, जो बिना किसी भेदभाव के सभी का ध्यान रखती है। सारस्वत का कहना है कि केंद्र की सभी कल्याणकारी योजना का लाभ बिना किसी भेदभाव के सभी पात्र व्यक्तियों को मिल रहा है। फिर चाहें वो आवास हो या फिर गैस कनेक्शन, आयुष्मान कार्ड या सरकार की अन्य विभिन्न योजनाएं।
विवेक सारस्वत कहते हैं कि इससे पहले हमारे पास कभी भी मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन अब चीजें बदल गई हैं। हर वार्ड से मुस्लिम लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनका मानना है कि ट्रिपल तालक के खिलाफ पार्टी ने जो कदम उठाए हैं, उसकी मुस्लिम समुदाय ने काफी प्रशंसा की है।
भाजपा का यह रणनीतिक कदम: प्रो. राहत अबरार
हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर राहत अबरार बीजेपी के इस कदम को राजनीतिक लाभ के नजरिए से देखते हैं। वो कहते हैं कि भाजपा का यह कदम पार्टी और मुसलमानों के बीच बदलते समीकरणों के बजाय राजनीतिक लाभ के लिए बनाई गई एक ‘रणनीति’ का हिस्सा है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उर्दू डिपार्टमेट के निदेशक रह चुके राहत अबरार आगे कहते हैं कि भाजपा ने यह देखकर मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जहां पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है। ऐसे में भाजपा के सामने अन्य कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में वो अपना आधार बढ़ाना चाहती है। प्रो. अबरार बताते हैं कि यह पूरी तरह से एक राजनीतिक प्लानिंग है, जो मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में जमीन तोड़ने के लिए है। यह मेयर के चुनाव को भी प्रभावित कर सकता है, जिसे भाजपा 2017 में हार गई थी। जबकि समाजवादी पार्टी और बसपा ने मेयर पद के लिए मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।