उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को राज्य में ‘गौ पर्यटन’ (Cow Tourism) को बढ़ावा देने की योजना की घोषणा की। इस योजना का उद्देश्य प्रत्येक ज़िले में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए एक आदर्श गौशाला की स्थापना करने और गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार गोबर, मूत्र, दूध और घी जैसे गौ-आधारित उत्पादों के व्यावसायिक उपयोग को भी बढ़ावा देगी।
सरकार गौशालाओं को आर्थिक रूप से टिकाऊ बनाने के लिए कदम उठा रही है लेकिन अब उसने उन्हें पर्यटक आकर्षण के रूप में विकसित करने की संभावना तलाशने का फैसला किया है ताकि वे अतिरिक्त आय के साथ-साथ रोज़गार भी पैदा कर सकें। अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार गोबर, मूत्र, दूध और घी जैसे गौ-आधारित उत्पादों के व्यावसायिक उपयोग को भी बढ़ावा देगी। सरकार स्थानीय स्तर पर गोबर से बनी वस्तुओं के उत्पादन और विपणन में महिला स्वयं सहायता समूहों को शामिल करने की भी योजना बना रही है।
गौशालाओं में बनायी जाएं गाय के गोबर और मूत्र के व्यावसायिक उपयोग की योजनाएं
उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं डेयरी विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने एक बयान में कहा कि दिवाली के लिए सरकार ने गोबर और अन्य पर्यावरण-अनुकूल सजावटी वस्तुओं से बने दीयों को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू करने का फैसला किया है। पशुधन एवं डेयरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने कहा कि अधिकारियों को गौशालाओं में गाय के गोबर और मूत्र के व्यावसायिक उपयोग के लिए स्थानीय स्तर पर योजनाएँ तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस पहल का उद्देश्य उत्तर प्रदेश में गौ-संरक्षण प्रयासों को मज़बूत करना है और साथ ही गौ-आधारित उत्पादों के माध्यम से स्वदेशी उद्योगों और आजीविका को बढ़ावा देना है।
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गौ-आधारित उत्पादों के उत्पादन को पर्यटन से जोड़ने की प्लानिंग
आवारा पशुओं की व्यापक समस्या को देखते हुए, सरकार ने हाल के वर्षों में विभिन्न ज़िलों में गौशालाओं के निर्माण में सहायता प्रदान की है। हालांकि, वर्तमान चुनौती इन गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ, गौ-पालन के लिए जारी सरकारी सहायता की है।अधिकारियों ने बताया कि इसका उद्देश्य गौ-आधारित उत्पादों के उत्पादन को पर्यटन आकर्षणों से जोड़ना है, ताकि अतिरिक्त आय उत्पन्न की जा सके।
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