देश की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री मायावती उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने सबसे निचले पायदान पर पहुंचने के लिए तैयार हैं। शाम 4 बजे तक बसपा सिर्फ 1 सीट पर आगे चल रही थी और उसका वोट शेयर 12.75% था। यह 1993 में अपने (बसपा) अब तक के सबसे कम 11.12% वोटों से सिर्फ एक प्रतिशत अधिक है। 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने सरकार बनाई और बीएसपी को 206 सीट प्राप्त हुई थी,जबकि बीएसपी का वोट शेयर 30.43% था।
2012 के विधानसभा चुनाव में भी जब बीएसपी की हार हुई , उस चुनाव में भी बीएसपी को 26% वोट प्राप्त हुआ था। 2017 के चुनाव में भी बीएसपी को महज 19 सीटों पर जीत मिली, लेकिन पार्टी का वोट शेयर 22.33% था। 66 वर्षीय मायावती पूरे देश में बहनजी के नाम से लोकप्रिय हैं और 1995 में पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि कुछ महीनों बाद ही सरकार गिर गयी। 2007 में बीएसपी को पहली बार अकेले दम पर पूर्ण बहुमत मिला और मायावती पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री पूरे 5 साल के लिए बनीं।
2007 के चुनाव में बीएसपी प्रमुख मायावती ने सर्वजन हिताय – सर्वजन सुखाय का नारा दिया था और माना जाता है कि इसी नारे का कमाल था कि पिछड़ों के अलावा बड़ी संख्या में ब्राह्मण भी बीएसपी के साथ जुड़ते गये और प्रदेश में पहली बार बीएसपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। हालांकि मायावती का कार्यकाल काफी विवादों से भी घिरा रहा। अपने कार्यकाल के दौरान मायावती ने कई पार्क बनवाएं जिसको लेकर उनके विरोधी दल उनपर निशाना भी साधते रहतें हैं।
2017 विधानसभा चुनाव के पहले बीएसपी को कई बड़े झटके लगे, जिसका परिणाम ये हुआ कि बीएसपी महज 19 सीटों पर सिमट गयी। कई नेताओं ने पार्टी छोड़ी जिसका नुकसान बीएसपी को चुनाव में उठाना पड़ा। पार्टी छोड़ने वाले नेताओं में स्वामी प्रसाद मौर्या भी शामिल थे, जो बाद में योगी सरकार में मंत्री भी बनें।
2022 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ज्यादा सक्रिय नहीं नजर आयीं और उन्होंने महज 18 चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया। मतगणना से ठीक एक दिन पहले मायावती ने आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी का उपाध्यक्ष और भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर घोषित किया।