जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की छात्र इकाई देश की आजादी में ‘गुमनाम हीरो’ का जश्न मनाने के लिए 1 से 15 अगस्त तक स्वराज पखवाड़े का आयोजन करेगी। एबीवीपी-जेएनयू इकाई के अध्यक्ष शिवम चौरसिया ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम एक ‘यज्ञ’ की तरह था जिसमें लोग जैसे भी योगदान दे सकते थे उन्होंने दिया। मगर ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम उनमें से सिर्फ कुछ को ही श्रद्धांजलि देते हैं। शैक्षणिक बातचीत में…यहां तक राजनीतिक व्यवस्था के ताकतवर नेताओं को चुना गया और राजनीतिक रूप से चर्चा में उन्हें स्थान दिया गया।
उन्होंने कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण जहालत को जिसने स्वतंत्रता संग्राम के हीरो को ‘गुमनाम’ बना दिया, हम तय किया है कि स्वतंत्रता दिवस का जश्न एक दिन का मनाने के बजाय ‘स्वराज पखवाड़े’ में आजादी का जश्न अगस्त के शुरुआती दो सप्ताह तक मनाया जाएगा। छात्र इकाई आजादी के जिन गुमनाम हीरो का जश्न मनाएगी उसमें कनकलता बरुआ भी शामिल हैं। बरुआ को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान स्थानीय पुलिस स्टेशन में राष्ट्रीय झंडा उठाने पर मार दिया गया था।
Rajasthan Government Crisis LIVE Updates
दरअसल भारत छोड़ो आंदोलन शुरू होने के 43 दिन बाद यानी 20 सितंबर, 1942 को क्रांतिकारियों की सभा हुई। इस सभा में तय किया गया कि असम के तेजपुर थाने पर तिरंगा झंडा फहराया जाए। सभी तिरंगा फहराने तेजपुर थाना पहुंचे। भीड़ तिरंगा फहराने आई अंग्रेजों ने उनपर गोलियां बरसा दीं, जिसमें कनकलता बरुआ शहीद हो गईं।
कनकलता बरुआ का जन्म 22 दिसंबर, 1924 को असम के बारंगबाड़ी गांव निवासी कृष्णकांत बरुआ और कर्णेश्वरी देवी बरुआ के घर हुआ था। कनकलता जब मात्र पांच साल की थीं तब उनकी मां कर्णेश्वरी देवी मौत हो गई थी। पिता कृष्णकांत ने दूसरा विवाह किया था मगर 1938 में उनके पिता का भी देहांत हो गया था और कुछ दिन बाद सौतेली मां भी चल बसीं थी।
उल्लेखनीय है कि एबीवीपी इसके अलावा केरल वर्मा उर्फ पजहस्सी राजा का जश्न मनाने की भी योजना बना रहा है। वर्मा को ब्रिटिश साम्रज्य से लड़ने वाले नायकों के रूप में जाना जाता है। वो कोट्टायम शाही वंश के राजकुमार थे।