गंगा को निर्मल और अविरल बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि सरकार इसके लिए अल्पकालिक व दीर्घकालिक योजना बनाकर आगे बढ़ रही है। इसमें एक तरफ नदी का न्यूनतम पारिस्थितिकी प्रवाह सुनिश्चित किया जाएगा तो दूसरी ओर इन योजनाओं को आगे बढ़ाने में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) से साथ साथ आडिट कराई जाएगी।

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री ने कहा कि गंगा नदी की तुलना हम राइन या टेम्स नदी से नहीं कर सकते। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें विभिन्न धार्मिक अवसरों समेत औसतन प्रतिदिन 20 लाख लोग और एक साल में औसतन 60 करोड़ लोग डुबकी लगाते हैं। उमा भारती ने कहा कि सरकार काम कर रही है, हम गंगा को निर्मल और अविरल बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं। मूलत: गंगा को हमेशा के लिए साफ रखना है तो जन जागरूकता जरूरी है और हम इसे जनांदोलन बनाकर निर्मल और अविरल बनाएंगे।

उन्होंने कहा कि गंगा को साफ करने के दीर्घकालीन कार्य में 10 साल का समय लग सकता है। यह भी देखना होगा कि गंगा में पानी कैसे रहे ताकि अविरलता और निर्मलता बनी रहे। जहां तक गंगा नदी में प्रवाह सुनिश्चित करने की बात है, हमने पनबिजली संयंत्र स्थापित करते समय यह आग्रह किया है कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि नदी का न्यूनतम इकोलाजिकल फ्लो (परिस्थितिकी प्रवाह) बना रहे। केंद्रीय मंत्री ने साफ किया कि इस विषय पर बिजली मंत्रालय के साथ कोई मतभेद नहीं है। सभी का मानना है कि नदी में इकोलॉजिकल फ्लो सुनिश्चित करना होगा।

उमा ने कहा कि नदी में प्रवाह बनाए रखने के लिए ‘नद्य-ताल’ योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है। जिसके तहत राज्यों से कहा गया है कि नदियों से जुड़े पुराने तालाबों की जानकारी दें। साथ ही सहायक नदियों में गाद साफ करने व उन्हें बहाल करने की पहल को आगे बढ़ाया जा रहा है। जहां तक गंगा समेत नदियों की निर्मलता और अविरलता से जुड़ी योजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता का सवाल है, हम नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) से इन योजनाओं का साथ साथ आडिट कराएंगे ।
उन्होंने कहा कि इस विषय पर कुछ ही दिनों पहले कैग को पत्र लिखा गया है। हम ऐसा पारदर्शिता के लिहाज से कर रहे हैं ताकि हम पर कोई अंगुली नहीं उठा सके।

योजना की आडिट के बारे में जो भी चीज जरूरी होगा, हम कैग को उपलब्ध कराएंगे। प्रधानमंत्री ग्रामीण सिंचाई योजना का जिक्र करते हुए उमा भारती ने कहा कि यह नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार की महत्त्वपूर्ण योजना है जिसके जरिए हम खेतों को सिंचाई सुविधाओं से लैस करना चाहते हैं। हमने साल 2017 तक के लिए 23 परियोजनाओं की पहचान की है, 2018 के लिए 23 परियोजनाओं को चिह्नित किया है व 2020 के लिए शेष परियोजनाओं की पहचान की गई है। इस प्रकार से 99 परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की पहल की जा रही है।

उमा ने बताया कि उनके नेतृत्व में मंत्रालय का एक शिष्टमंडल 26 जून को इसराइल के दौरे पर जाएगा और जल संरक्षण के बारे में उस देश के सर्वश्रेष्ठ उपायों व पहल का अनुभव लेगा। शिष्टमंडल 26-29 जून तक इसराइल में रहेगा और इस दौरान एक सहमति पत्र पर भी हस्ताक्षर हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसराइल को जल संरक्षण के क्षेत्र में काफी मान्यता मिली है और कम पानी का किस तरह से बेहतर इस्तेमाल हो सकता है, यह हमें वहां देखने को मिल सकता है।