शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे रविवार को एक बार फिर मिले। यह मुलाकात एक निजी समारोह में हुई। इस मुलाकात के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या दोनों भाई मिलकर निकाय चुनाव लड़ेंगे?

दोनों चचेरे भाई शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत के पोते के नामकरण समारोह में मिले। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में राज ठाकरे, उद्धव ठाकरे, उनके विधायक पुत्र आदित्य ठाकरे, शिवसेना (UBT) नेता अनिल देसाई और मिलिंद नार्वेकर को आपस में बातचीत और हंसी-मजाक करते देखा गया।

‘विजय रैली’ में एक मंच पर आए थे दोनों भाई

जुलाई में आयोजित ‘विजय रैली’ के बाद से उद्धव और राज ठाकरे के बीच मुलाकातों का सिलसिला बढ़ गया है। यह रैली महाराष्ट्र सरकार द्वारा पहली से पांचवीं कक्षा के छात्रों के लिए तीन-भाषा फ़ॉर्मूले को वापस लेने के फैसले का जश्न मनाने के लिए आयोजित की गई थी। उस समय फड़नवीस सरकार पर मराठी भाषी राज्य में हिंदी थोपने के आरोप लगे थे।

पिछले महीने उद्धव ठाकरे ने दादर में स्थित मनसे प्रमुख राज ठाकरे के आवास ‘शिवतीर्थ’ जाकर उनकी मां कुंदा ‘मौसी’ से मुलाकात की थी। उद्धव इससे पहले अगस्त में गणेशोत्सव के अवसर पर भी ‘शिवतीर्थ’ गए थे। जुलाई के अंत में राज ठाकरे मुंबई के बांद्रा स्थित ‘मातोश्री’ पहुंचे थे, जहां उन्होंने उद्धव ठाकरे को जन्मदिन की बधाई दी थी।

महाराष्ट्र निकाय चुनाव में साथ लड़े ठाकरे बन्धु तो क्या करेगी कांग्रेस?

राज ठाकरे ने 2005 में अविभाजित शिवसेना छोड़ दी थी और इसके लिए उन्होंने उद्धव ठाकरे को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि, 2024 के विधानसभा चुनावों में दोनों पार्टियों को मिली करारी हार के बाद अब रिश्तों में सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं।

बड़ा और अहम सवाल यह है कि अगर उद्धव और राज मिलकर चुनाव लड़े तो क्या इससे बीजेपी को BMC के चुनाव में कोई बड़ी चुनौती मिलेगी?

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बीएमसी चुनाव में गठबंधन के दिए संकेत

शिवसेना (UBT) और मनसे ने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों खासकर बीएमसी चुनाव के लिए गठबंधन के संकेत दिए हैं लेकिन औपचारिक घोषणा अभी नहीं की गई है। शिवसेना (UBT), कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा (शरदचंद्र पवार) पहले से ही विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी का हिस्सा हैं।

अगस्त में बेस्ट एम्प्लॉइज कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड के चुनाव में शिवसेना (UBT) और मनसे को झटका लगा था, जब दोनों के समर्थित पैनल को सभी 21 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।

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