छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में पुलिस के गश्ती वाहन ने एक गाय को कुचल दिया। ये वाकया राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या—46 में हुआ। जब दो आरोपी सिपाही पुलिस की गश्ती गाड़ी टाटा सूमो से गश्त पर निकले थे। घायल गाय को पास के पशु चिकित्सालय में ले जाया गया है, जहां अभी भी उसकी हालत चिंताजनक बनी हुई है। हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हो सका है कि पुलिसकर्मियों ने शराब पी थी या नहीं। उन्हें तब गिरफ्तार किया गया जब मौके पर खड़े एक प्रत्यक्षदर्शी ने घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
प्रत्यक्षदर्शी ने एनडीटीवी को बताया, ”17 जुलाई को रात के करीब 12.30 बजे थे। पीसीआर वैन को चलाने वाले नशे में थे। जब गाय सड़क को पार कर रही थी, उसी वक्त उन्होंने उसे टक्कर मार दी। गाय की टांग पहिए के नीचे आ गई। लोग उसे बचाने के लिए दौड़े लेकिन पुलिस वाले तो जैसे उसे मार डालने पर उतारू थे। हमने उनसे उसे छोड़ने की इजाजत मांगी लेकिन वे उसके ऊपर से गाड़ी निकालकर ले गए।”
पुलिसकर्मियों को गाय को टक्कर मारने के तीन दिन बाद गिरफ्तार किया गया और तुरंत ही जमानत भी दे दी गई। पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है। हालांकि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। राजनांदगांव के एसपी प्रशांत अग्रवाल ने कहा,”अतिरिक्त पुलिस उपनिरीक्षक विजय यादव और कांस्टेबल धर्मेन्द्र को गिरफ्तार किया गया था। उन पर पशु क्रूरता और लापरवाह तरीके से वाहन चलाने के आरोप लगाए गए हैं।”
इस मामले पर एनडीटीवी से बात करते हुए छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा,”दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। अगर आरोप सही हों तो। छत्तीसगढ़ में हम गायों को बचाने वाले लोग हैं। हर भारतीय को गाय को बचाना चाहिए। हम जांच करेंगे कि ये सिर्फ दुर्घटना है या फिर जानबूझकर की गई हरकत है। अगर वह दोषी पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ कड़ा एक्शन होगा।”
कुछ दिनों पहले ही राजस्थान के अलवर में गौ रक्षकों ने एक शख्स की पुलिस हिरासत में पीट—पीटकर हत्या कर दी थी। एनडीटीवी ने दावा किया था कि पुलिस गंभीर रूप से घायल शख्स को तीन घंटे की देरी के बाद अस्पताल ले गई थी। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बयान दिया था कि अपराध नियंत्रण, शांति—व्यवस्था बनाए रखना और लोगों की जान—माल की हिफाजत करने की जिम्मेदारी राज्यों का विषय है।