दलितों के लिए जमीन नीलामी के दौरान संगरूर जिले के तोलवाल गांव में दो गुट आपस में भिड़ गए। इस जमीन की नीलामी कृषि कार्य के लिए होनी थी। इस जमीन की नीलामी चौथी बार भी विफल रही। जमीन को लेकर ये विवाद उस समय हुआ जब जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा था। नीलामी का समर्थन कर रहे लोगों की तरफ से सात लोग घायल हुए हैं, वहीं इसका विरोध करने वालों में से तीन लोग हिंसा का शिकार हुए हैं। कुछ घायलों को उपचार के लिए पटियाला रेफर किया गया है। वहीं, अन्य का इलाज अमरगढ़ के सरकारी अस्पताल में किया जा रहा है। दलितों के एक गुट का कहना है कि उनपर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हमला किया। शामलात जमीन के इस हिस्से की पांच एकड़ जमीन दलितों के लिए आरक्षित है। पुलिस का कहना है कि आपस में भिड़े दोनों गुट में दलित शामिल थे। इस विवाद के बाद जमीन की नीलामी टाल दी गई है।
बताया जा रहा है कि 8 जुलाई को ग्राम सभा के लगभग 220 सदस्यों ने मिलकर प्रस्ताव रखा था कि शामलात जमीन(शामलात किसी भी गांव की साझी जमीन होती है जिसकी मालिक संबंधित गांव की पंचायत होती है।) जो दलितों के लिए आरक्षित रखी गई है उसे 33 साल के लिए 500 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से किराए पर दी जाएगी। इस प्रस्ताव को ब्लॉक विकास पंचायत अधिकारी के पास भेजा गया था जहां इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था जिसके बाद इस नीलामी का आयोजन किया गया। गांव के सरपंच बेंट सिंह का कहना है कि ब्लॉक अधिकारी के पास भेजे गए प्रस्ताव को ना ही पारित किया जा रहा ना ही इस खारिज किया जा रहा है। सरपंच का कहना है कि बीडीपीओ हर मसले पर कांग्रेस नेता लाल सिंह चौधरी से सलाह लेते हैं और जबकि लाल सिंह पंचायत के सदस्य भी नहीं हैं। ऐसे में पंचायत की बातों को क्यों अनदेखा किया जा रहा है?
जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी गुरमुख सिंह का कहना है कि हम पांच सौ रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन किराए पर लेना चाहते हैं जबकि सरकारी रेट सालाना 20 हजार रुपए प्रति एकड़ है।आज धर्मशाला का गांव में नीलामी का आयोजन किया गया था जहां हमने जाकर विरोध प्रदर्शन किया। डीएसी सुबेग सिंह का कहना है कि दो गुटों के झड़प की खबर है। हम लोगों के बयान दर्ज कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्तओं और दलितों के बीच संघर्ष को खारिज कर दिया है।