दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार (6 अगस्त) देर रात अंतिम सांस ली। वह 67 वर्ष की थीं। बताया जा रहा है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। एम्स के डॉक्टरों ने करीब 60-70 मिनट तक उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घर पर ही सुषमा की हालत काफी ज्यादा बिगड़ गई थी। बता दें कि सुषमा स्वराज के निधन से दिल्ली को दोहरा झटका लगा है। दिल्ली के लोगों ने महज 18 दिन में ही अपनी दोनों पूर्व महिला मुख्यमंत्रियों को खो दिया। वहीं, दोनों का ही निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ।
दिल्ली की पहली सीएम थीं सुषमा स्वराज: सुषमा स्वराज 13 अक्टूबर 1998 को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं। हालांकि, चंद हफ्तों बाद ही 3 दिसंबर 1998 को उनकी कुर्सी चली गई। वे उनके बाद यह कुर्सी लंबे समय तक शीला दीक्षित के पास रही।
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सुषमा के बाद शीला ने संभाली थी दिल्ली की कमान: यह संयोग है कि सुषमा स्वराज के बाद ही शीला दीक्षित ने दिल्ली की कमान संभाली थी। सुषमा भले ही 2 महीने दिल्ली की सीएम रहीं, लेकिन शीला ने 15 साल तक लगातार दिल्ली पर राज किया।
दोनों को पड़ा दिल का दौरा: दिल्ली की दोनों महिला मुख्यमंत्रियों के निधन की वजह भी संयोग है। दोनों को ही अचानक दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें आनन-फानन में अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। इस तरह दिल्ली ने महज 18 ही दिन में अपनी दोनों पूर्व महिला मुख्यमंत्रियों को खो दिया।
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निधन से पहले तक एक्टिव थीं शीला व सुषमा: इसे भी महज संयोग कहा जा सकता है कि शीला दीक्षित व सुषमा स्वराज अपने निधन से चंद घंटों पहले तक एक्टिव थीं। शीला दीक्षित का निधन उस समय हुआ, जब उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में आदिवासियों के नरसंहार पर प्रियंका गांधी पीड़ित परिजनों से मिलने गई थीं। उस दौरान शीला दीक्षित के हवाले से बताया गया था कि वह प्रियंका गांधी को हिरासत में लिए जाने के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन करेंगी। हालांकि, उसी दिन शीला का निधन हो गया। वहीं, सुषमा ने दिग्गज वकील हरीश साल्वे को घर बुलाया था, क्योंकि वह कुलभूषण मामले में उन्हें 1 रुपए की फीस अदा करना चाहती थीं।