इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव हुए थे। आम आदमी पार्टी ने मणिपुर को छोड़कर शेष चार राज्यों में अपने उम्मीदवार उतारे थे। नियमों के मुताबिक राजनीतिक दलों को चुनाव में खर्च हुए रुपयों का हिसाब किताब रखना होता है।

विधानसभा चुनाव के 75 दिन बाद पार्टियों को खर्च का हिसाब चुनाव आयोग को देना होता है। उसी रिपोर्ट से पता चला है कि गोवा विधानसभा चुनाव में पॉलिटिकल पार्टियों ने जमकर पैसा खर्च किया है। दिलचस्प ये है कि राज्य में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के नेतृत्व में सत्ता बरकरार रखने वाली भाजपा से भी ज्यादा तृणमूल कांग्रेस ने पैसा बहाया है।

रिपोर्ट के मुताबिक गोवा विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने 47.54 करोड़ रुपये खर्च किया है। पार्टी ने 23 उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन किसी को भी जीत नहीं मिली। राज्य में टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर थे।

खर्च के मामले में दूसरे नंबर पर भाजपा है, जिसने 17.75 करोड़ रुपये खर्च किए। भाजपा ने की गोवा विधानसभा की कुल 40 सीटों में 20 पर जीत दर्ज की थी।

रिपोर्ट की मानें तो आम आदमी पार्टी ने गोवा विधानसभा चुनाव में 3.5 करोड़ रुपये खर्च किया है। पार्टी ने 39 सीटों पर कैंडिडेट खड़ा किया था। लेकिन जीत सिर्फ दो ही सीट पर मिली थी। इस हिसाब से आप ने गोवा में एक सीट के लिए डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया है।

संबंधित राजनीतिक दलों ने हाल ही में चुनाव आयोग को चुनावी खर्च का विवरण प्रस्तुत किया है। गोवा में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने की उम्मीद कर रही कांग्रेस ने चुनाव पर लगभग 12 करोड़ रुपए खर्च किया है।

गोवा चुनाव में अपने 10 उम्मीदवार उतारने वाली शिवसेना ने करीब 92 लाख रुपया खर्च किया है। गोवा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और आप की एंट्री से कांग्रेस नाखुश हुई थी। उसने दोनों दलों पर भाजपा विरोधी वोटों को बांटने का आरोप लगाया था।

भाजपा ने 40 सदस्यीय विधानसभा में से 20 सीट जीतकर और एमजीपी के दो विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी। बताते दें कि इस महीने की शुरुआत में विपक्ष के नेता माइकल लोबो और पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत सहित कांग्रेस के 11 में से आठ विधायक भाजपा में शामिल हो गए।