मध्य प्रदेश में फर्जी तरीके से तैयार चिट्ठी की मदद से सरकारी महकमों में कर्मचारियों के ट्रांसफर कराने की अनुसंशा का मामला सामने आया है। बीजेपी के तीन सांसदों और एक विधायक के फर्जी लेटर के जरिए सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक, नर्स और तहसीलदारों के ट्रांसफर कराने की तैयारी थी। जिन नेताओं के नाम से फर्जी लेटर भेजे गए उसमें भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, देवास सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी और राजगढ़ सांसद रोडमल नागर के अलावा विधायक रामपाल सिंह शामिल हैं। इन चिट्ठियों के जरिए 2 तहसीलदार, 27 सरकारी टीचर और एक स्टाफ नर्स के तबादले की सिफारिश की गई है।
सीएम हाउस ने जब इन चिट्ठियों की जांच की तो सभी की सभी फर्जी पाई गईं। जिसके इस मामले की जांच के आदेश दिए गए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह पत्र अलग-अलग तारीखों में सीएम ऑफिस पहुंचे थे। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ओएसडी मरकंद देउस्कर ने कहा है कि इस मामले में आरोपियों के नाम सामने आने चाहिए।
फर्जी लेटरों को लेकर पुलिस ने तीन टीमें बनाई हैं। इधर सीएम ऑफिस में भी हड़कंप मचा हुआ है। इस मामले के सामने आने के बाद सांसद विधायकों व पूर्व नेताओं की अनुशंसा पत्रों की जांच की भी की जा रही है। इस जांच में उन पत्रों को भी शामिल किया गया है जिनकी अनुशंसा पर ट्रांसफर किया गया था।
ऐसा कहा जा रहा है कि इन फर्जी लेटरों के माध्यम से 30 अधिकारी और कर्मचारियों के ट्रांसफर की अनुसंशा की गई है। पुलिस अब इन लोगों से पूछताछ करेगी ताकि सही आरोपी के नाम सामने आ सकें, साथ ही पुलिस इन ट्रांसफरों के नाम पर पैसे के लेन-देन की भी जांच कर रही है।
मध्य प्रदेश में इस तरह का यह दूसरा मामला है। कुछ दिनों पहले भी ऐसे ही एक शातिर को जबलपुर से गिरफ्तार किया गया था। शातिर, शिक्षामंत्री मोहन यादव और नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह के निजी सचिवों के नाम पर उगाही किया करता था। जालसाज इन ट्रांसफरों के एवज में मोटी रकम भी लिया करता था। वह फोन कर कहता था कि पैसों का हिस्सा बंगले के अंदर तक जाता है।
इस मामले के खुलासे के कारण शिवराज सरकार की किरकिरी हो रही है। बेखौफ शातिरों की करतूत अब सीएमओ तक पहुंच चुकी है।