दिल्ली के जंतर-मंतर पर मुस्लिम विरोधी नारे लगने के बाद, दिल्ली पुलिस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। इस मामले पर विपक्ष, पुलिस के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी घेरे में ले रहा है।

विपक्ष का कहना है कि दिल्ली में जब कोरोना की तीसरी लहर की आशंका है, उसके बीच, पुलिस के बिना परमिशन के इतना बड़ा कार्यक्रम कैसे हो गया? बीजेपी के नेता का इस कार्यक्रम में शामिल थे इसलिए? इसी क्रम में टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर कहा- “बस सोच रही हूं, अगर मुस्लिम, एससी वकील और विपक्षी पार्टी के प्रवक्ता ने दिल्ली के केंद्र में बिना अनुमति के रैली का आयोजन किया होता,  भीड़ ने हिंदू विरोधी नारे लगाए होते, तो क्या पुलिस अपराधियों को खोजने में असमर्थ होती?

दरअसल मोइत्रा पुलिस के उस कदम पर तंज कस रही थी। जिसमें पुलिस ने नारे का वीडियो वायरल होने के बाद अज्ञात के नाम पर एफआईआर दर्ज की थी। मतलब जिस घटना का वीडियो था, बिना परमिशन आयोजन हुआ था, बीजेपी के नेता शामिल हुए थे, नारे लगाने वाले का वीडियो था, उस मामले में पुलिस एफआईआर दर्ज करती है और वो भी अज्ञात के नाम।

पुलिस ने इस मामले में आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51, भारतीय दंड संहिता की धारा 153 और 188 के तहत कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया है।

बता दें कि दिल्ली के जंतर-मंतर पर रविवार को ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ प्रदर्शन में सैकड़ों लोग शामिल हुए थे। आंदोलन की मीडिया प्रभारी शिप्रा श्रीवास्तव ने कहा कि बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ था। उपाध्याय ने मुस्लिम विरोधी नारेबाजी की घटना में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार करते हुए कहा- “मैंने वायरल हो रहे वीडियो की जांच के लिये दिल्ली पुलिस को एक शिकायत दी है। अगर वीडियो प्रमाणिक है तो इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।”

बता दें कि बाद में पुलिस ने अब इस मामले में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं इस मामले की जिम्मेदारी हिन्दू रक्षा दल के संस्थापक पिंकी चौधरी ने लेते हुए कहा कि वहां सभी हिन्दू रक्षा दल के कार्यकर्ता थे और मैं उनकी जिम्मेदारी लेता हूं। पुलिस अभी तक पिंकी चौधरी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। पुलिस इस आरोपी की तलाश में अभी भी जुटी है।