पश्चिम बंगाल में जारी डेंगू के कहर पर तृणमूल कांग्रेस की एक नेता ने ऐसी बात कही है जो हर किसी को हैरान कर देगी। टीएमसी लीडर काकोली दास्तीदार ने राज्य में फैलते डेंगू के पीछे काफी अजीब लॉजिक दिया है। उनका मानना है कि डेंगू एक प्राकृतिक आपदा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सांसद दास्तीदार का कहना है कि डेंगू एक प्राकृतिक आपदा है और राज्य में स्वास्थ्य को लेकर कोई संकट नहीं है। इंडिया टुडे के मुताबिक दास्तीदार ने कहा, ‘डेंगू का खतरा प्राकृतिक आपदा है। मानसून के वक्त मच्छरों का प्रजनन बढ़ जाता है और ये ग्लोबल फिनोमिना है। बंगाल में किसी भी तरह का मेडिकल क्राइसिस (चिकित्सा संकट) नहीं है।’
टीएमसी नेता के इस बयान पर लोगों ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। लोगों का कहना है कि अगर टीएमसी को ऐसा लगता है कि डेंगू प्राकृतिक आपदा है तो पार्टी और ममता बनर्जी जल्द ही बंगाल में बाकी आपदाएं भी ला सकती हैं। टीएमसी नेता का ये बयान उस सरकारी डॉक्टर के सस्पेंड होने के दो दिन बाद आया जिसने राज्य सरकार पर डेंगू से जुड़े तथ्यों को दबाने का आरोप लगाया था। डॉक्टर अरुणाचल दत्त चौधरी ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर बताया था कि किस तरह सरकार ने डेंगू के तथ्यों को छिपाने की कोशिश की थी। उनके पोस्ट के बाद राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें सस्पेंड कर दिया। विभाग ने डॉक्टर द्वारा शेयर किए गए पोस्ट को अस्पताल प्रशासन के लिए अपमानजनक बताया था।
Trinamool MP gives bizarre logic on dengue outbreak, calls it a 'natural calamity'. #ITVideo
More videos: https://t.co/NounxnP7mg pic.twitter.com/dpPkENk0gS— India Today (@IndiaToday) November 13, 2017
If TMC feels dengue is a natural calamity, the party and its leader Mamata are going to bring lots of other calamities to Bengal! It is high time Bengalis oust both TMC and CPM to enjoy peace and progress again!
— M.K. Ramakrishnan (@mappatmadam) November 13, 2017
डॉक्टर ने लिखा था, ‘6 अक्टूबर को मेरी ड्यूटी थी। सुबह 9 बजे से लेकर दूसरे दिन सुबह 9 बजे तक की मेरी शिफ्ट थी। उस समय के लिए मैं ही मरीजों के इलाज और उनकी मौत के लिए जिम्मेदार था। सोचिए 24 घंटे की ड्यूटी करने के बाद मेरी क्या हालत रही होगी। हर मरीज बुखार से जूझ रहा था। बहुत लोगों की ब्लड रिपोर्ट में ये लिखा था कि उन्हें डेंगू है, लेकिन डॉक्टर्स उन्हें देख नहीं पाए क्योंकि वहां करीब 500 मरीज थे। जिला स्वास्थ्य अधिकारी की तरफ से हमेशा ही यह कहा गया है कि अस्पताल में हर जरूरी सुविधा है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन असहाय है। यहां अस्पताल में जरूरी सुविधा की कमी को छिपाने के लिए बिना लिखा हुआ निर्देश है दिया गया है।’