लोकसभा में पास दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक इसी सप्ताह राज्यसभा में पेश होगा। बिल पारित होने के बाद, 18 अप्रैल से निगम परिषद भंग होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि निगम में विशेष अधिकारी की नियुक्ति के बाद ही चुनाव के तारीख का एलान होगा। हालांकि बिल से यह उम्मीद जताई जा रही है कि निगमों के एकीकरण से घाटे को पूरा किया जा सकता है। वहीं, केंद्र सरकार की मंशा स्पष्ट न होने से दिल्ली के तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
दोनों सदनों से मिली मंजूरी के बाद केंद्र सरकार अधिसूचना जारी कर निगमों को भंग करने की घोषणा करेगी। संविधान के जानकारों का कहना है, कि गृह मंत्रालय को नई व्यवस्था लागू करने के लिए 18 अप्रैल से पूर्व निगमों को भंग करने का आदेश जारी करना होगा। नगर निगम अधिनियम के मुताबिक, हर वर्ष अप्रैल माह में सदन की पहली बैठक में नए महापौर का चुनाव करना होगा।
यदि निगम भंग नहीं किया जाता है, तो इस वर्ष 18 मई तक चुनाव कराने होंगे, उस स्थिति में राज्य निर्वाचन आयोग को चुनावी कार्यक्रम की घोषणा करनी होगी। क्योंकि संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद केंद्र सरकार के पास निगमों को भंग करने का बहुत कम समय बचेगा। विशेष स्थिति में 30 अप्रैल तक तीनों निगमों को भंग करना कानूनी रूप से अनिवार्य होगा।
चुनाव से पहले अधिकारी हो सकते हैं नियुक्त
निगम के चुनाव होने तक केंद्र से नियुक्त एक विशेष अधिकारी तीनों निगमों को चलाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि निगम का गठन जब तक नहीं हो जाता तब तक नई दिल्ली नगर पालिका परिषद की तर्ज पर एक कमेटी का गठन किया जा सकता है। इस कमेटी में सियासी लोगों को एनडीएमसी की तरह मनोनीत किया जाएगा, जो विशेष तौर पर इसे चलाने के लिए अधिकृत होंगे।
निगमों में दखल नहीं दे सकेगी दिल्ली सरकार
विशेषज्ञों का कहना है कि, दिल्ली सरकार से निगम कार्यप्रणाली में दखलंदाजी करने की सभी शक्तियां ले ली जाएंगी। सीधे तौर पर केंद्र सरकार का दखल रहेगा। निगम के जिम्मे राज्य सरकार के कौन-कौन से विभाग आएंगे इस पर भी संशय बरकरार है। निगम को फिर से दिल्ली परिवहन निगम, दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली अग्निशमन मिल सकता है।
लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान पश्चिमी दिल्ली से सांसद प्रवेश वर्मा ने मांग की है कि पहले की तरह डीटीसी, दिल्ली जल बोर्ड, शहरी आश्रय सुधार बोर्ड और अग्निशमन जैसे विभाग दिल्ली नगर निगम का सौंप दिए जाएं।