Gujarat Politics: गुजरात के तीन निर्दलीय विधायकों ने सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) को अपने समर्थन की घोषणा की है। गुजरात विधानसभा (Gujarat Election) में धवलसिंह जाला (Dhavalsinh Zala) मावजीभाई देसाई (Mavjibhai Desai) और धर्मेंद्रसिंह वाघेला (Dharmendrasinh Vaghela) ने भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़ा था। उनकी इस बगावत के बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था।
स्कूल के शिक्षक धवलसिंह जाला (Dhavalsinh Zala)
गुजरात विधानसभा चुनाव में अरावली जिले के बयाड निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर आए 47 वर्षीय धवलसिंह जाला (Dhavalsinh Zala) राजनीतिक रूप से प्रभावशाली ठाकोर-क्षत्रिय समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। धवलसिंह जाला ने बीजेपी उम्मीदवार भीखीबेन परमार को 5,818 मतों के अंतर से हराया था। कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला के बेटे महेंद्रसिंह वाघेला को मैदान में उतारा था। चुनाव आयोग (ईसी) के समक्ष उनके हलफनामे के अनुसार धवलसिंह जाला एक स्कूल प्रिंसिपल थे। उन्होंने खेती को अपनी आय का एक स्रोत भी बताया था।
वह पहली बार 2017 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में गुजरात विधानसभा के लिए चुने गए थे। तब ठाकोर युवा नेता अल्पेश ठाकोर के करीबी सहयोगी माने जाने वाले धवलसिंह जाला ने राज्य में क्रॉस-वोटिंग के बाद ठाकोर के साथ 2019 में विधानसभा से कांग्रेस विधायक के रूप में इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए जिसने तुरंत उन्हें उसी निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव में अपने उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा। लेकिन वह कांग्रेस के जशुभाई पटेल से हार गए थे। धवलसिंह जाला (Dhavalsinh Zala) उसके बाद भाजपा के साथ बने रहे। 2022 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था जिसके बाद उन्होने निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी।
मावजीभाई देसाई, सहकारी केंद्रीय बैंक से राजनीति का सफर
50 वर्षीय मावजीभाई देसाई ने 2002-03 में बनासकांठा जिले के दीसा तालुका में बैवाड़ा गांव के सरपंच के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 2017 में धानेरा से भाजपा के टिकट पर लड़ा, लेकिन कांग्रेस के नथाभाई पटेल (चौधरी) से हार गए। देसाई बनासकांठा जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के निदेशक थे।
वह 2015 और 2020 के बीच बनास डेयरी के उपाध्यक्ष भी थे। उनके करीबी बताते हैं कि उन्होंने 2012 में भी धानेरा विधानसभा क्षेत्र से और बाद में लोकसभा चुनाव के बाद 2015 के उपचुनाव में भी बीजेपी का टिकट मांगा था. इस बार, उन्हें भाजपा द्वारा टिकट का आश्वासन दिया गया था, लेकिन भगवानजीभाई पटेल (चौधरी) को उनके स्थान पर चुना गया था।
धर्मेंद्रसिंह वाघेला उर्फ बापू
गुजरात विधानसभा चुनाव में 55 वर्षीय धर्मेंद्रसिंह वाघेला उर्फ बापू ने बागी भाजपा उम्मीदवार के रूप में वाघोडिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। वाघेला ने 2017 में वाघोडिया से भाजपा के बागी के रूप में चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गए थे। जिसके बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। वाघेला 2000 के दशक की शुरुआत से भाजपा के साथ हैं।
2002 में चुडासमा के विधायक बनने के बाद वाघेला को वड़ोदरा में पार्टी के व्यापारी प्रकोष्ठ का संयोजक नियुक्त किया गया। पेशे से व्यवसायी और किसान वाघेला ने 111 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है।