भारतीय किसान यूनियन बैनर के तले आयोजित ‘किसान क्रांति यात्रा’ जो कि 23 सितंबर को शुरू हुई थी, मंगलवार को दिल्ली-यूपी बार्डर पर पुलिस के साथ हुई तीखी झड़प के बाद बुधवार की अहले सुबह समाप्त हो गई। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ किसानों की मुलाकात हुई और बैठक में ज्यादातर मुद्दों पर सहमति बनी। किसानों को दिल्ली में प्रवेश की इजाजत दी गई। वे चौधरी चरण सिंह की समाधि स्थल किसान घाट पहुंचे और अपनी यात्रा को समाप्त किया। वहीं, दूसरी ओर हजारों की संख्या में ट्रैक्टर और ट्रॉली लेकर पहुंचे किसानों ने दिल्ली-यूपी बार्डर पर अपने भोजन की व्यवस्था खुद की। सड़क पर ही खाना बनाया और वहीं रात गुजारी। किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली में ही खाने के सामान और सिलेंडर लेकर आए थे। साथ ही जहां-जहां से काफिला गुजरा, वहां के स्थानीय किसानों ने राशन और बने हुए भोजन उपलब्ध करवाए।
भारतीय किसान यूनियन द्वारा आयोजित इस यात्रा के दौरान जहां शाम होती थी, वहां महिलाएं और पुरुष भोजन की व्यवस्था में जुट जाते थे। यात्रा के दौरान साथ में पानी के छह टैंकरों की भी व्यवस्था की गई थी। मंगलवार की शाम भी दिल्ली-यूपी बार्डर पर किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रॉली से सामान निकाल सड़क पर ही भोजन बनाया था। कहीं रोकी सेंकी गई तो कहीं सब्जी पकाई गई। कहीं पर कढ़ी-चावल भी बनाए गए। कुछ ने हलवा भी बनाया। इस दौरान आसपास के किसानों और परिचितों ने भी मदद की।
बता दें किसान क्रांति यात्रा में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब व उत्तर भारत के अन्य राज्यों के किसान शामिल थे। किसान ऋण माफी, कम कीमत पर बिजली सहित सहित 21 सूत्री मांगों को लेकर मार्च कर रहे थे। यात्रा समाप्त होने के बाद भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने एएनआई को बताया, “23 सितंबर को शुरू हुई किसान क्रांति पदयात्रा किसान घाट पर समाप्त हो गई। पुलिस ने हमें दिल्ली में प्रवेश करने से रोक दिया था, इसलिए प्रदर्शन करना पड़ा। हमारा लक्ष्य यात्रा को समाप्त करना था, जो हमने किया। अब हम अपने गांव लौट रहे हैं।” इससे पहले दिल्ली पुलिस ने यूपी-दिल्ली बार्डर पर किसानों को रोकने के लिए वाटर कैनन और आंसू गैस का भी इस्तेमाल किया था। हांलाकि, मंगलवार की रात बैरियर को हटा दिया गया अौर किसानों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति दी गई।