समाजवादी पार्टी ने गैंगस्टर से राजनेता बने मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल (QED) से विलय का फैसला शनिवार को रोक लिया था। अब QED के एक सीनियर नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा है कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने ही इस जुड़ाव का सबसे पहले प्रस्ताव दिया था। बता दें कि इस विलय को लेकर सीएम अखिलेश यादव ने तीखी नाराजगी जाहिर की थी। माना जा रहा है कि इसी के बाद विलय के फैसले को रोक लिया गया।
नाम न सार्वजनिक किए जाने की शर्त पर अखबार से बातचीत करते हुए QED नेता ने कहा कि मुलायम ने पार्टी अध्यक्ष अफजल अंसारी और उनके भाई सिंगबातुल्लाह अंसारी को अपने घर 11 जून को बुलाया था। इसी दिन राज्यसभा के लिए मतदान भी हुए थे। एक घंटे की बैठक के बाद सपा सुप्रीमो ने QED का सपा में विलय करने का प्रस्ताव रखा था। इससे, ठीक दो दिन पहले कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव और बलराम यादव ने अफजल से मुलाकात की थी। हालांकि, यह मुलाकात QED के सपा कैंडिडेट्स के राज्यसभा में समर्थन और एमएलसी चुनावों को लेकर था। बता दें कि बलराम यादव को अखिलेश ने बर्खास्त कर दिया था।
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QED के प्रमुख अफजल ने हालिया घटनाक्रम पर कुछ बोलने से इनकार कर दिया। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि सपा संसदीय बोर्ड का विलय को टालने का फैसला उनके और पार्टी के लिए एक झटका है। QED के सूत्रों के मुताबिक, मुलायम से मीटिंग के दौरान अफजल ने कहा था कि वह विलय के बारे में अपनी पार्टी के नेताओं से बात करना चाहते हैं। हालांकि, मुलायम ने अफजल को इस बात के लिए राजी कर लिया कि वो यह फैसला अपने स्तर पर करें क्योंकि वे पार्टी के अध्यक्ष हैं। सूत्र का यह भी कहना है कि उस वक्त सीएम अखिलेश यादव से इस विलय को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई थी।
विलय को टालने के पीछे सपा ने अखिलेश की ‘नाराजगी’ को मुख्य वजह बताई थी। अब यह बात सामने आ रही है कि विलय का फैसला खुद मुलायम सिंह यादव का था। अखिलेश की तरफ से कथित नाराजगी की बात उस वक्त सामने आई, जब QED के दो विधायकों मुख्तार अंसारी और सिगबातुल्लाह ने एमएलसी और राज्यसभा चुनाव में सपा प्रत्याशियों के पक्ष में वोट दिया। अखिलेश के मुताबिक, मुख्तार से किसी तरह का जुड़ाव ‘पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।’ हालांकि, बाद में सीएम ने इस विलय को पार्टी का आंतरिक मसला करार दिया था। शनिवार को विलय का फैसला टालने के कुछ देर बाद एक लोकल चैनल से बातचीत में सीएम ने कहा, ‘मुख्तार अंसारी का पार्टी में स्वागत नहीं होगा। हम ऐसे लोगों को पार्टी में नहीं चाहते।’ बता दें कि मुख्तार इस वक्त जेल में हैं। वह 2005 में बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में बंद हैं।
QED का कहना है कि विलय ऐसे शख्स (मुख्तार) के नाम पर टाल दिया गया, जो पूरे घटनाक्रम के दौरान कहीं सामने ही नहीं था। QED नेता का यह भी कहना है कि वो सपा थी, जिसने राज्यसभा और एमएलसी चुनाव में समर्थन और बाद में विलय के लिए उनके पास आई थी। नेता के मुताबिक, उनकी ओर से विलय को लेकर कोई कोशिश नहीं की गई। बता दें कि 2010 में बनी QED का गाजीपुर और उससे सटे पूर्वी यूपी के जिलों के वोटरों पर प्रभाव माना जाता है।