बिहार चुनाव के नतीजे आने के बाद जहां राज्य की नीतीश सरकार एक बार फिर एक्टिव मोड में दिख रही है, वहीं विपक्ष की भूमिका निभा रही राजद भी कृषि कानून से लेकर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एनडीए को घेरने की कोशिश में है। हालांकि, इसी बीच लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव पहले की तरह ही राजनीति में फिर कम एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। ताजा मामला बिहार विधानसभा की एक कमेटी से जुड़ा है, जिसका प्रभार तेज प्रताप को ही सौंपा गया था, पर इस समिति की पहली बैठक में ही तेजप्रताप नहीं पहुंचे।
बता दें कि बिहार विधानसभा में तेजप्रताप को गैर सरकारी विधेयक एवं संकल्प समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। 17 दिसंबर को उन्हें विधानसभा अध्यक्ष के साथ समिति के प्रभारी के तौर पर बैठक में शामिल होना था। लेकिन तेजप्रताप इस पहली मीटिंग में ही नहीं पहुंचे, जबकि कमेटी में शामिल बाकी सभी 11 नेता बैठक में मौजूद रहे।
गौरतलब है कि इस बार विधानसभा में कुल 22 समितियां बनाई गई हैं। इनके सभी सभापतियों और सदस्यों को चुना जा चुका है। इनमें छह समितियों का प्रभार राजद नेताओं को, जबकि सात समितियों का प्रभार भाजपा नेताओं को दिया गया है, जदयू के भी छह नेता समितियों के अध्यक्ष हैं। सभापति और सदस्यों के मनोनयन के बाद सभी की बारी-बारी से विधान सभा अध्यक्ष के साथ बैठक हुई। इसमें सभी समितियों के सदस्य और सभापति ने हिस्सा लिया, लेकिन तेजप्रताप नहीं पहुंचे।
बड़ी बात यह है कि विधानसभा से जुड़ी समितियों के अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा मिलता है। राज्यमंत्री के तौर पर उन्हें विशेष भत्ता और सुविधाएं भी मिलती हैं। विधान सभा परिसर में एक कार्यालय, स्टाफ जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं। इसका मतलब है कि विपक्ष में रहकर भी तेजप्रताप यादव सत्तापक्ष जैसी सुविधाएं ले सकेंगे।
राजनीति से गायब हैं तेजस्वी यादव भी, आज पिता लालू प्रसाद यादव से मिलने पहुंचेंगे: जहां एक ओर तेजप्रताप यादव समितियों की पहली बैठक से गायब रहे, वहीं उनके छोटे भाई और विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी बीते कुछ दिनों से राजनीति से दूर हैं। खबर है कि आज तेजस्वी अपने पिता लालू प्रसाद यादव से मिलने पहुंचे। हालांकि, इससे पहले ही उन पर भाजपा और जदयू लगातार निशाना साधते रहे हैं। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और मौजूदा राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने तो यहां तक कहा है कि नेता प्रतिपक्ष लगातार बिहार से बाहर समय बिता रहे हैं। ऐसा कर वे अपने सांवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रहे हैं।