वरिष्ठ IAS अधिकारी संतोष बाबू ने सिविल सेवा से वीआरएस ले लिया है। संतोष बाबू ने ऐसे वक्त वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लिया है, जब सिविल सर्विस रूल्स के मुताबिक उनकी सेवा के 8 साल और बाकी थे। ऐसी खबर है कि अब वीआरएस लेने के बाद संतोष बाबू चेन्नई स्थित एक कोचिंग सेंटर में सिविल सेवा की तैयारी करने वाले छात्रों को पढ़ाएंगे। संतोष बाबू कोचिंग सेंटर में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन विषय पढ़ाएंगे। कोचिंग सेंटर ने यह जानकारी दी है। 22 अगस्त संतोष बाबू का कार्यालय में आखिरी दिन था। विपक्षी पार्टियों ने इस पर सवाल उठाए हैं।
तमिलनाडु कैडर के 1995 बैच के आईएएस अधिकारी संतोष बाबू ने जनवरी 2020 में वीआरएस देने की मांग की थी। हालांकि वीआरएस की मांग के कुछ दिन बाद ही तमिलनाडु सरकार ने उन्हें तमिलनाडु हैंडीक्राफ्ट्स डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड का चेयरमैन और एमडी बना दिया था। संतोष बाबू के रिटायरमेंट को लेकर चर्चा है कि तमिलनाडु फाइबर नेट कॉरपोरेशन (TANFINET) में एक टेंडर को लेकर सरकार की तरफ से कथित दबाव बनाए जाने को लेकर वह नाराज चल रहे थे।
दरअसल चेन्नई के एक एंटी-करप्शन एनजीओ अराप्पोर इयक्कम ने दावा किया था कि TINFINET के 2000 करोड़ के टेंडर में कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर के नियमों में बदलाव किए गए थे। जिस वक्त टेंडर को लेकर विवाद हुआ, उस समय संतोष बाबू TANFINET (Tamilnadu Fiber Net Corporation) के एमडी और आईटी विभाग के मुख्य सचिव के पद पर तैनात थे। इसी को लेकर आईएएस अधिकारी संतोष बाबू पर कथित तौर पर दबाव बनाया गया था। एनजीओ ने टेंडर में बदलाव का आरोप राज्य सरकार पर लगाया था और इस बाबत केन्द्र सरकार को पत्र भी लिखा था।
जिसके बाद केन्द्र सरकार ने यह टेंडर खारिज कर राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि वह प्रोजेक्ट के लिए नया टेंडर जारी करें। बता दें कि TINFINET प्रोजेक्ट के तहत तमिलनाडु की 2500 ग्राम पंचायत को फाइबर ऑप्टिक केबल से जोड़ने की योजना है। यह केन्द्र सरकार के भारतनेट प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
वहीं विपक्षी नेता और डीएमके चीफ एमके स्टालिन ने राज्य सरकार पर आईएएस अधिकारी को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था और सीएम से इस मामले में जवाब देने को कहा था।