तमिलनाडु सरकार के हिन्दू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट्स विभाग ने चेन्नई के टी नगर स्थित ‘अयोध्या मंडपम’ को अपने नियंत्रण में ले लिया है, जिसको लेकर राज्य में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। ‘अयोध्या मंडपम’ के देखभाल और रख-रखाव का जिम्मा श्रीराम समाज के पास रहा है। इसे सरकार के नियंत्रण में लाने का आदेश दिसंबर 2013 में तत्कालीन जे जयललिता सरकार द्वारा जारी किया गया था।

वहीं, 64 वर्ष पुराने इस स्थल को हिन्दू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट्स विभाग ने जैसे ही अपने नियंत्रण में लिया, इसका जमकर विरोध होने लगा। इस मुद्दे को लेकर राज्य की भाजपा यूनिट ने एमके स्टालिन सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

मंदिर का रख-रखाव करने वाले श्रीराम समाज ने तर्क दिया है कि अयोध्या मंडपम “न तो यह मंदिर है और न ही जनता के पैसे से बनाया गया है” और ” न ही जनता ने पूजा नहीं की।” समाज की तरफ से कहा गया है कि यहां पर कोई भी मूर्ति नहीं है।

2013 के सरकारी आदेश में कहा गया था कि हिन्दू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट्स एक्ट 1959 के सेक्शन (6) 20 के मुताबिक, श्रीराम समाज एक सार्वजनिक मंदिर है। जबकि, हिन्दू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट्स के एक अधिकारी का कहना था, “यहां पर मूर्तियां हैं और नियमित पूजा की जाती हैं। मंदिर में पूजा के लिए लोगों का आना-जाना लगा रहता है। वे हुंडियाल (कलेक्शन बॉक्स) के जरिए एक बड़ी राशि बटोर रहे हैं।”

अधिकारी का कहना है कि समाज के कुछ सदस्यों द्वारा मंदिर और धन के कुप्रबंधन की शिकायतों के बाद 2013 में एक आदेश जारी किया गया था। तमिलनाडु सरकार का ये विभाग हिन्दू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट्स एक्ट 1959 के अनुसार, राज्य में 35,000 से अधिक मंदिरों की देखभाल करता है। इसके अंतर्गत ऐतिहासिक संरचनाओं का रखरखाव, जीर्णोद्धार करना, कल्याणकारी योजनाओं को लागू करना आदि शामिल हैं।

समाज द्वारा मद्रास हाई कोर्ट में दायर एक रिट याचिका को 31 मार्च को खारिज कर दिया गया था। वहीं, सरकार द्वारा नियंत्रण में लिए जाने के बाद एक नई याचिका पर अदालत ने 12 अप्रैल को तुरंत दखल देने से इनकार कर दिया और सरकार से इस मामले में 21 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है। पूरे मामले पर सीएम एमके स्टालिन ने भारतीय जनता पार्टी पर इस मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया और कहा वे इसमें सफल नहीं होंगे।