तमिलनाडु में इस बार के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री जे जयललिता सत्ता में बने रहने की उम्मीद के साथ मैदान में उतरी हैं तो द्रमुक मुखिया करुणानिधि राज्य में सत्ता परिवर्तन की पुरानी परिपाटी के अनुरूप फिर से मुख्यमंत्री बनने की आस लगाए हैं। लेकिन पीपुल्स वेलफेयर फ्रंट की वजह से मुकाबला कुछ हद तक तिकोना नजर आ रहा है। राज्य की 232 सीटों के लिए बीती 16 मई को मतदान हुआ। इसमें 69 फीसद लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 19 मई को मुख्यमंत्री जे जयललिता और द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि समेत 3700 से अधिक उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। राज्य के 5.50 करोड़ मतदाताओं के लिए करीब 65000 मतदान केंद्र बनाए गए थे। चुनाव शांतिपूर्ण कराने के लिए एक लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किए थे।

तमिलनाडु के 32 जिलों में 234 विधानसभा सीटें हैं लेकिन मतदान 232 सीटों के लिए हो रहा है। चुनाव आयोग ने मतदाताओं के बीच धन बांटे जाने की शिकायतों के बाद अरावाकुरिची और तंजावुर विधानसभा सीटों के लिए मतदान टालने का फैसला किया था। इन सीटों पर 23 मई को मतदान होगा। इस चुनाव में जयललिता (आरके नगर) और करुणानिधि (तिरुवरूर) के अलावा डीएमडीके के संस्थापक विजयकांत और पीएमके के अंबुमणि रामदौस, एमके स्टालिन (द्रमुक), भाजपा के टी सुंदरराजन और एच राजा समेत कई नेताओं के चुनावी भविष्य का फैसला होगा। शांतिपूर्ण मतदान के लिए 21780 अद्धसैन्य कर्मियों समेत कुल 1,11,958 पुलिसकर्मियों को चुनाव ड्यूटी पर तैनात किया गया था।

तमिलनाडु में इस बार भी मुख्य मुकाबला अन्नाद्रमुक की अगुआई वाले गठबंधन और द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन के बीच माना जा रहा है। अन्नाद्रमुक कुछ छोटी पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। द्रमुक और कांग्रेस ने इंडियन यूनियन मुसलिम लीग और कुछ अन्य छोटे दलों को साथ लिया है। लेकिन इस बार वाइको की पार्टी एमडीएमके और विजयकांत की डीएमडीके के नेतृत्व वाले गठबंधन पीडब्लूएफ ने चुनाव को दिलचस्प बनाया है। कुछ हद तक मुकाबला तिकोना माना जा रहा है। इस गठबंधन में कम्युनिस्ट पार्टियां शामिल हैं। भाजपा इस बार आइजीके के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। इस बार के चुनाव में कुछ दूसरे दल भी चुनाव मैदान में हैं। इस चुनाव में अन्नाद्रमुक ने 227 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। द्रमुक ने 180 और कांग्रेस 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

अलग-अलग चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में द्रमुक और अन्नाद्रमुक नीत गठबंधनों के जीत का अनुमान लगाए जाने से नतीजों के लिए और भी दिलचस्पी बढ़ गई है। 2011 के विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 203 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया था। इसमें अन्नाद्रमुक को 150, डीएमडीके को 29, माकपा को 10 और भाकपा को नौ सीटें मिली थीं। दूसरी तरफ द्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन को महज 31 सीटें ही मिली थीं। द्रमुक को 23, कांग्रेस को पांच और पीएमके को तीन सीटें मिली थीं।