स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में बिहार के भागलपुर की स्थिति ठीक नजर नहीं आती। यहां समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एक-एक कमरे में 50 से अधिक लोगों को ठूंस-ठूंसकर रखा जाता है। हालांकि यहां एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी है मगर वो दोपहर के समय बंद पाया गया। करीब 1.42 लाख लोगों के लिए बने एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दो डॉक्टरों पर इन लोगों के इलाज का जिम्मा है।

बता दें कि कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में भागलपुर की तरह देशभर के कई छोटे शहरों को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ये जिला प्रदेश में कोरोना संक्रमितों का केंद्र भी बना हुआ है। भागलपुर में अब तक 479 लोगों को संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है, जो पटना (584) के बाद सबसे अधिक संख्या है। मगर ‘स्मार्ट सिटी’ बनने की महात्वकांक्षा रखने वाले इस जिले के गांव अभी स्वास्थ्य के मामले में स्मार्ट बनने से काफी दूर हैं। यहां स्वास्थ्य केंद्रों के कमरों में भीड़ के अलावा कर्मचारी और मरीज बिना मास्क और दस्ताने के नजर आए। कोरोना काल के बीच डॉक्टर इन जरुरी सुरक्षा उपकरणों के बिना ही मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

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द इंडियन एक्सप्रेस ने भागलपुर में ऐसे ही एक ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों का दौरान किया-

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
सबौर, 11.25 am
यहां के स्वास्थ्य केंद्र की निगरानी एक गार्ड द्वारा की जा रही है लेकिन गार्ड के हाथ में ग्लव्स नजर नहीं आए। गेट से कुछ फीट की दूरी पर अंदर दो महिलाओं को कुछ कागजात और एक थर्मल टेंपरेचर स्कैनर के साथ एक छोटी सी मेज पर बिठाया गया है। उनमें से एक रेखा कुमारी हैं, जिन्होंने मास्क लगाया है मगर ग्लव्स नहीं हैं। हालांकि मेज पर सर्जिकल ग्लव्स का एक बॉक्स रखा है। यहां जैसे-जैसे लोग अंदर आते हैं कुमारी उनके तापमान की जांच करती हैं और उन्हें आने जाने देती हैं। इनमें से बहुत लोग ऐसे भी होते हैं जो मास्क लगाकर नहीं आते। कुमारी कहती हैं, ‘अगर वो टेस्टिंग के लिए आते हैं और उनमें कोरोना के लक्षण नजर आते हैं तो मैं पंजीकरण काउंटर पर भेज देती हूं।’

स्वास्थ्य केंद्र में बस दो डॉक्टर हैं और पूरे ब्लॉक में 1.42 लाख से अधिक लोगों की आबादी है, जिनके स्वास्थ्य की जिम्मेदारी इन्हीं दो डॉक्टरों पर है। मामले में एक डॉक्टर बताते हैं कि इनमें से ज्यादातर वो लोग हैं जो बाहर से आए लोगों के संपर्क में आ गए थे और उनमें कोरोना के लक्षण हैं, या ऐसे लोग हैं जिन्हें आशा कार्यकर्ताओं द्वारा स्वैच्छिक रूप से चुना गया है। टेस्टिंग के लिए नमूने हम भागलपुर भेज देते हैं। इसके अलावा यहां जो लोग आते हैं उन्हें होम क्वारंटाइन में भेज दिया जाता है। इनमें लक्षणों वाले लोग भी शामिल हैं। डॉक्टर ने कहा कि अगर उनको कोरोना की पुष्टि होती है तो उन्हें ले जाने के लिए कोविड केयर सेंटर या आईसोलेशन वार्ड की एंबुलेंस भेजी जाती है।

उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य केंद्र में पंजीकरण केंद्र में दो कर्मचारी एक कंप्यूटर और एक रजिस्टर लिए बैठे नजर आए। उनमें से किसी ने भी मास्क नहीं पहना रखा था। पीएचसी में किसी ने भी पीपीई नहीं पहन रखी थी। डॉक्टर ने कहा कि स्टॉक में 10 से 12 पीपीई किट हैं जो मुख्य रूप से लैब टेक्नीशियन के लिए हैं जो नमूने लेते हैं।