श्रीलंका में ईस्टर पर हुए बम धमाकों के बाद श्रीलंका की सरकार ने बुर्के पर बैन लगाने का फैसला लिया। इस कड़ी में भारत में भी बुर्का पर प्रतिबंध लगाने को लेकर बहस शुरू हो गई है। बुर्का को लेकर सियासत गरमाती जा रही है। इसी क्रम में स्वामी अग्निवेश ने विवादित बयान दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के समर्थन में प्रचार करने भोपाल पहुंचे स्वामी अग्निवेश ने कहा कि बुर्के पर प्रतिबंध लगना चाहिए। उन्होंने घूंघट पर भी प्रतिबंध लगान की बात कही। उन्होंने कहा कि, ”घूंघट और बुर्का दोनों पर प्रतिबंध लगना चाहिए। बुर्के में कोई-कोई ऐसा लगता है, जैसे कोई और जन्तु हो। अजीब सा लगता है और डर लगता है।”

राजस्थान और हरियाणा में हुए अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि वह महिलाओं से घूंघट छोड़ देने की अपील करते हैं। उन्होंने बताया- वह जब भी राजस्थान और हरियाणा जाते हैं। वहां के सरपंच से मिलकर घूंघट पर प्रतिबंध लगाने की बात कहता हूं। उन्होंने कहा कि महिलाएं घूंघट में रहती हैं और उनके पति इसका फायदा उठाते हैं।

साध्वी प्रज्ञा के चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि, साध्वी प्रज्ञा जैसे लोग अगर चुनाव लड़े तो भारतीय राजनीतिक के लिए यह अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि साध्वी जब जेल में थीं तो व्हीलचेयर पर चलती थी और भोपाल से उनके उम्मीदवार होने की घोषणा के बाद वह पूरी तरह फिट हो गईं। उन्होंने कहा कि वह संन्यासी नहीं हैं।क्यों संन्यासी अपने गुस्से पर काबू पा लेता है।

कांग्रेस का बयान से किनारा: स्वामी अग्निवेश के घूंघट और बुर्के वाले बयान पर कांग्रेस के राज्य प्रवक्ता जेपी धनोपिया से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह उनका निजी विचार है। पार्टी का इससे कोई लेना देना नहीं है। सभी धर्मों का अपनी संस्कृति होती है। किसी को इसमें दखलअंदाजी नहीं करना चाहिए।बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि स्वामी अग्निवेश का यह बयान उनकी मानसिकता को दर्शाता है।

गौरतलब है कि साध्वी प्रज्ञा के ने हाल ही में भोपाल में चुनाव प्रचार के दौरान बुर्के पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। प्रज्ञा के इस बयान के बाद 3 मई को बॉलीवुड गीतकार जावेद अख्तर ने कहा कि अगर बुर्के पर प्रतिबंध लगता है तो घूंघट पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए।