भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने मो. तस्लीमुद्दीन को नोटिस देने का जिक्र करते हुए कहा कि क्या राजद प्रमुख लालू प्रसाद में पार्टी के नेता शहाबुद्दीन को राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकालने की हिम्मत है। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने सोमवार (23 मई) को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि अपराध की बढ़ती घटनाओं पर सरकार को ‘सच का आईना’ दिखाने वाले मो. तस्लीमुद्दीन को लालू प्रसाद ने नोटिस दिया है। मगर क्या शहाबुद्दीन जैसे सजायाफ्ता को राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकालने की उनमें हिम्मत है।
उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद से दोस्ती के बाद बिहार में अपराध बढ़ने की आशंकाओं के जवाब में कभी नीतीश कुमार ने कहा था ‘मैं हूं ना’ पर अब वे बताए कि उनके रहते इंजीनियर, व्यापारी और पत्रकार क्यों मारे जा रहे हैं। रंगदारी के लिए डॉक्टरों को क्यों धमकाया जा रहा है। हत्यारों की गिरफ्तारी क्यों नहीं होती। सुशील ने पूछा है कि क्या यह सच नहीं है कि महागठबंधन सरकार के छह माह के भीतर बिहार में बैंकों की 10 शाखाओं से कुल एक करोड 66 लाख रुपए लूटे गए हैं। वहीं 11 डॉक्टरों को धमकी देकर रंगदारी की मांग की गई है।
उन्होंने सत्तारुढ़ दल से जुड़े आरोपियों को पकड़ने व कार्रवाई करने में सरकार का हाथ कांपने का आरोप लगाते हुए कहा कि नीतीश कुमार के बार-बार कहने के बावजूद कि किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा, पिछले छह महीने में किसी भी संगीन आपराधिक वारदात के मुख्य अभियुक्त पकड़े क्यों नहीं गए हैं। आधे दर्ज से ज्यादा मामलों के आरोपी जदयू विधायक गोपाल मंडल, अतरी की राजद विधायक कुंती देवी के तीन साल से फरार बेटे के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है।
सुशील ने आरोप लगाया कि जमुई जिले में घर से खींचकर तीन लोगों का सिर कलम कर देने, पटना के एक प्रसिद्ध डॉक्टर से 50 लाख रुपए तथा दानापुर के सगुना मोड स्थित एक कोचिंग संस्थान के संचालक से एक करोड़ रुपए की रंगदारी की मांगने जैसे अपराध की भयावह घटनाओं को क्या आंकड़ों की बाजीगरी से छिपाया जा सकता है। बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील ने आरोप लगाया, ‘मधुबनी जिले में इंटर की एक छात्रा से गैंगरेप के बाद 16 बार उसके शरीर पर चाकू से वार करना और पटना के डॉक्टर से 50 लाख रुपए की रंगदारी वसूलने के लिए धमकी भरे पत्र के साथ कारतूस भेजना क्या अपराधियों की क्रुरता और बढ़ते दुस्साहस का सबूत नहीं है।’
उन्होंने पूछा कि बिहारशरीफ में एक अखबार के दफ्तर में घुसकर पत्रकार को सीवान कांड दोहराने की धमकी देने वाले जदयू एमएलसी हीरा बिंद के चार गुर्गों को गिरफ्तार किए बिना पुलिस ने एमएलसी को क्लीनचिट कैसे दे दी।